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सराहनीय शुरूआत

Published: Jul 26, 2015 10:52:00 pm

हर साल लाखों की संख्या में सड़कों पर उतर रहे नए वाहन
आम आदमी के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन और सरकार के लिए भी नई-नई चुनौतियां खड़ी कर
रहे हैं

Environment

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सुकून देने वाली खबर है कि पर्यावरण बचाने के लिए यूरोप के दो सौ शहरों में एक दिन के लिए पहिए थम जाएंगे। देश में पहली बार सप्ताह में एक दिन साइबराबाद के आईटी कॉरीडार में 50 हजार कारें नहीं चलाने का फैसला यूरोपीय शहरों की कड़ी की अगली शृंखला मानी जा सकती है। दुनिया में हर रोज बढ़ रहे वाहन और उनसे फैलने वाले प्रदूष्ाण ने आम जन को परेशान कर रखा है।

वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी दुनिया की प्रमुख समस्याओं में शुमार हो चुकी है। वाहनों की रेलमपेल की वजह से बड़े शहरों में ट्रैफिक और पार्किग समस्या के साथ-साथ इंसान के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। घंटों ट्रैफिक में फंसे रहने की वजह से श्वास और दमा रोगियों की संख्या में बेतहाशा इजाफा हो रहा है। ऎसे में मानव निर्मित इस समस्या का समाधान अगर कोई निकाल सकता है तो वह स्वयं मानव ही है।

यूरोप के दो सौ शहरों में 16 से 22 सितम्बर के बीच एक दिन के लिए मोटर वाहनों का थमना समस्या के समाधान की दिशा में पहला कदम माना जा सकता है। हर व्यक्ति यदि सप्ताह में एक दिन वाहन नहीं चलाने का फैसला कर ले तो सड़कों पर वाहनों की संख्या में 14 फीसदी कमी आ सकती है और पेट्रोल-डीजल की खपत में भी इतनी ही कमी हो सकती है। “पहला सुख निरोगी काया” हमारा मूलमंत्र रहा है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अधिकांश भारतीय किसी-न-किसी निमित्त से सप्ताह में एक दिन व्रत रखते हैं ।

इसी तरह यदि सप्ताह में एक दिन वाहनों के पहिए भी थम जाएं तो पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ अनेक समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। आंध्र प्रदेश में साइबराबाद से हो रही ये शुरूआत दूसरे शहरों में भी गति पकड़ेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय और अनेक सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में वाहन प्रदूष्ाण के कारण स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ रहा है। सप्ताह में एक दिन वाहन नहीं चलाने के स्व-स्फूर्त फैसले के साथ-साथ सरकार को वाहनों की संख्या पर नियंत्रण के दूसरे उपाय भी तलाशने चाहिए। हर साल लाखों की संख्या में सड़कों पर उतर रहे नए वाहन आम आदमी के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन और सरकार के लिए भी नई-नई चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं।

अमरीका और यूरोपीय देशों में तो वाहन प्रदूष्ाण रोकने के सख्त कदम हैं लेकिन हमारे यहां कानून अभी काफी लचीले हैं। साथ ही बड़े शहरों में हरियाली भी उतनी नहीं जो प्रदूष्ाण के खतरों को कम कर सके। यूरोपीय शहरों से प्रेरणा ले हम भी उस ओर बढ़ने का सार्थक प्रयास करें तो देर-सवेर समस्या से निजात अवश्य मिल सकती है।

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