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भारत पर इस्तेमाल की चिंता अमरीकियों को भी

Published: Apr 28, 2016 11:29:00 pm

प्रो. स्वर्ण सिंह विदेश मामलों के जानकारपाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू जेट विमान बेचने के ओबामा प्रशासन के फैसले को लेकर हमें यह समझना जरूरी है कि आखिर अमरीका की ऐसी क्या मजबूरियां है जो वह भारत के विरोध के बावजूद पाक के साथ यह सौदा करने जा रहा है। वह भारत के साथ वह बेहतर […]

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प्रो. स्वर्ण सिंह विदेश मामलों के जानकार
पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू जेट विमान बेचने के ओबामा प्रशासन के फैसले को लेकर हमें यह समझना जरूरी है कि आखिर अमरीका की ऐसी क्या मजबूरियां है जो वह भारत के विरोध के बावजूद पाक के साथ यह सौदा करने जा रहा है। वह भारत के साथ वह बेहतर सम्बन्ध बनाने के प्रयास भी कर रहा है।

दूसरी ओर पाक को आतंकवाद से निपटने के नाम पर वह अब तक 20 बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद दे चुका है। जब अमरीका ने खुद 9/11 का आतंकी हमला झेला तब से उसने आतंकवाद पर काबू करने के लिए पाकिस्तान को अपनी तरफ तरह-तरह से जोडऩे की कोशिश की है। इनमें उसने पाकिस्तान को सैन्य सहायता से लेकर कई प्रलोभन भी दिए और कई बार धमकियां तक दीं हैं।

सामरिक बाध्यता भी है

आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली ताकतों पर पाक के माध्यम से ही काबू में रखना उसकी रणनीति रही है। सब समझते हैं कि अल कायदा, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे ज्यादातर आतंकी संगठन पाकिस्तान में ही पनपे हैं।

अफगानिस्तान की हालत दूसरी है। वह सदैव अलकायदा के दबाव में रहता है और इसलिए वह अमरीका की उतनी मदद नहीं कर सकता जितनी कि पाकिस्तान कर सकता है। यही वजह है कि अमरीका के लिए पाकिस्तान का साथ देना मजबूरी सा बन गया है।

दूसरी खास बात यह भी है कि पाकिस्तान ही ऐसा देश है, जहां रहकर वह रूस और चीन दोनों की गतिविधियों पर निगाह रख सकता है इसलिए ऐसा करना अमरीका के लिए एक तरह की सामरिक बाध्यता भी है। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने 700 मिलियन डॉलर के एफ-16 लड़ाकू विमान पाक को रियायती दर पर देने की सूचना अमरीकी कांग्रेस को दी है। इसी के चलते वहां के कुछ सीनेटरों ने इसका विरोध भी किया है।

अमरीकी सीनेट के कुछ सदस्यों की चिंता कोई नई बात नहीं है। अमरीका की राजनीति में दूसरे देशों की सदैव दिलचस्पी रहती है। अमरीकी सीनेट में तरह-तरह के दबाव समूह काम करते हैं इनमें कुछ ऐसे भी हैं जो भारत के समर्थन में कार्य करते हैं। कुछ इंडिया का कॉकस भी काम करता है। हमारे विदेश सचिव पिछले दिनों अमरीका में थे और अब आगामी जून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वहां जाने वाले हैं। जाहिर है कि सीनेट के भारत समर्थक इस दौरान अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का प्रयास करेंगे।

हर बार जताया है एतराज
भारत इस सौदे को लेकर अपनी चिंता शुरू से ही जताता रहा है और अमरीका यह कहता रहा है कि पाकिस्तान इन लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल अंदरूनी सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने के लिए ही करेगा। यह हर बार अमरीका ने जब भी पाक को सैन्य सामग्री दी यह विरोध हुआ है।

चिंता की बात यह है कि हर बार पाकिस्तान को अमरीका की तरफ से ज्यादा अत्याधुनिक तकनीक वाले हथियार दिए जाते रहे हैं। हालांकि ओबामा का कार्यकाल खत्म हो रहा है और यह सौदा अंजाम तक पहुंचने पर वहां शासन किसका होगा यह भी देखना होगा। क्योंकि सौदे के अनुरूप विमानों की खेप पहुंचने में अभी वक्त लगेगा। हमें पाक से बहुत बड़ा खतरा इस सौदे से होने वाला तो नहीं है लेकिन सामरिक दृष्टि से यह चिंता का विषय जरूर हो सकता है।

यह कहा सीनेटरों ने

ओबामा प्रशासन के इस फैसले का विरोध करते हुए फिर से समीक्षा की मांग रहे अमरीकी सांसद मैट सैलमन ने कहा ‘मेरे साथ-साथ कांग्रेस के कई सदस्यों ने इस फैसले और इस बिक्री के समय पर गंभीर सवाल उठाए हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अब भी बढ़ा हुआ है। हालांकि पाकिस्तान ने कहा है कि वह इसका इस्तेमाल आतंकवादियों के खिलाफ करेगा। लेकिन कुछ लोग सवाल उठा रहे हैं कि एफ-16 विमानों का इस्तेमाल आतंकवादियों की जगह भारत या अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के खिलाफ किया जा सकता है!


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