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नाक में बांस

Published: Mar 30, 2015 11:19:00 pm

आप भी चोंचलेबाजी छोड़ो और मतलब की बात करो। रही बात
पार्टी टूटने की तो यह तो चलता ही रहता है सत्ता के दलदल में

बेचारे केजरी। करे तो करे क्या? योगेन्द्र, प्रशांत और आनंद ने तो उनकी नाक में बांस ही कर दिया था। अब तिनके तक तो ठीक है। ज्यादा से ज्यादा आदमी को एकाध बार छींक आ जाती है और नाक साफ हो जाती है पर नथुनों में बांस ही करने लगो तो बेचारे इंसान की क्या हालत होगी, सोचने से ही डर लगता है। बस केजरी अनाप-शनाप गंदी-गंदी गालियां बकने लगे। असल में “आम आदमी पार्टी” ईमानदारों की नौटंकी है जिसमें नेता ही नेता हैं।

नेता भी मानो दूध से नहाये हुए। क्षमा करें ऎसे शुद्ध दूध से स्नान करने वाले की त्वचा बहुत ही सौम्य, मुलायम और कोमल होती है इसलिए इसका उदाहरण दिया। बहरहाल जिस जगह हरेक आदमी अपने को दूसरे से ईमानदार और सत्यवादी समझे वहां ऎसी जूतमपैजार होना स्वाभाविक है। क्योंकि हर नेता यह दावा करता है कि मेरी कमीज सबसे सफेद दिखे और इस चक्कर में वह सामने वाले के कपड़ों पर कीचड़ फेंकने से बाज नहीं आता।

हमारी नजर में ये सारे लोग ऎसे स्वप्नदर्शी हैं जिसे पूरा करना किसी के बाप-दादा के बस की बात नहीं। अरे जिस देश की जनता ही छोटे-छोटे कानून तोड़ना और छोटी- मोटी चोरी करने को अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानती हो वहां आदर्श रूप में कैसे और कब तक रहा जा सकता है।

हम यातायात के नियम तोड़ कर अपने को सूरमा समझते हैं, सार्वजनिक वाहनों में टिकट के पैसे बचाने की सोचते हैं, लाइन तोड़ कर काम करवाने पर अपनी शेखी बघारते हैं और नेता ऎसे चाहते हैं जो आदर्शवादी हों एकदम 24 कैरट टंच। केजरीवाल ने अपने साथियों को जो कुछ भी कहा वह गुस्से में आकर कोई भी इंसान कह सकता है। लेकिन भाई केजरीवाल जब आप भी अपने चेले-चेलियों सहित उसी रास्ते पर चल पड़े हैं जिस दादागिरी के रास्ते पर दूसरी कई पार्टियां हैं तो फिर ये खामखां के चोंचलेबाजी काहे को करते हो। अरे कह दो कि पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र, हर निर्णय चौड़े में करने का दावा करना सब ढोंग है।


योगेन्द्र यादव और प्रशांत भूषण, आनंद कुमार इतने गलत तो नहीं लगते। इनकी बातें “अव्यावहारिक” जरूर हो सकती हैं लेकिन मुद्दे तो उन्होंने खरे उठा रखे हैं। अरे भैया आप भी चोंचलेबाजी छोड़ो और मतलब की बात करो। रही बात पार्टी टूटने की तो यह तो चलता ही रहता है सत्ता के दलदल में। हमें तो देश की उस पार्टी का नाम बताओ जो कभी टूटी न हो। टूटना, बिखरना, बनना-जुड़ना यही भारतीय राजनीति का सत्य है बाबू।

राही

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