तोंद महिमा
Published: Feb 10, 2016 10:58:00 pm
हमारे बड़े-बड़े ज्ञानी ध्यानियों ने नाना प्रकार के शास्त्रों की रचना की। जैसे चिकित्सा शास्त्र, वनस्पति शास्त्र,
हमारे बड़े-बड़े ज्ञानी ध्यानियों ने नाना प्रकार के शास्त्रों की रचना की। जैसे चिकित्सा शास्त्र, वनस्पति शास्त्र, रसायन शास्त्र, ज्योतिष शास्त्र, भू-गर्भ शास्त्र इत्यादि-इत्यादि। परन्तु समझ नहीं आता कि उन्होंने उदर शास्त्र उर्फ तोंद शास्त्र को क्यों नहीं रचा। मोटा मोटी इसका पहला कारण तो हमें यही नजर आ रहा है कि प्राचीन काल में हमारे पूर्वजों के तोंद पनपती ही नहीं थी। चाहे पुराने ग्रंथ पढ़ लीजिए या पुरानी चित्रकला देख लीजिए किसी भी तस्वीर में आदमी या औरत के तोंद नजर नहीं आएगी। प्राचीन मूर्तिकला में भी तोंद का नामोनिशान नहीं मिलता।
हमारे मेवाती कवि सादुल्ला द्वारा रचित पंडून का कड़ा में ‘पटेला भीमÓ का जिक्र जरूर मिलता है इसका कारण यही बताया जाता है कि चूंकि भीम खाता बहुत था इसलिए उसका पेट निकला हुआ था। लेकिन कलियुग में तोंद का अपना शास्त्र है। अपना सौन्दर्य है। यहां तोंद वाले को सम्पन्न माना जाता है। अगर कोई सेठ (पैसे वाला) है और उसके तोंद नहीं है तो कोई स्वीकारने को तैयार नहीं होता कि यह पूंजीपति है। दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि पूंजीपति के तोंद जरूरी है। हमारे समाज में पैसे और तोंद का एक खास सम्बन्ध है।
प्राय: पहली बार चुनाव लड़ने वाला नेता दुबला-पतला होता है लेकिन जैसे ही उसके हाथ में सत्ता आती है उसका वजन बढ़ने लगता है अर्थात् वह मोटा होने लगता है और कुछ अर्से बाद उसका लम्बा चेहरा गोल हो जाता है, पतला पेट फैल कर तोंद में तब्दील हो जाता है उसकी आकृति देख कर कोई भी कह सकता है कि अब यह आराम तलब, शौकीन मिजाज, खाने-पीने वाले में बदल चुका है। क्योंकि परिश्रम करने वालों के शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा ही नहीं होती है। प्राय: दफ्तरों में काम करने वाले बेईमान कारकूनों के भी तोंद निकल आती है। कई बार तो ऐसा लगता है कि बेईमान अपना माल घर पर रखने की बजाय अपने पेट में रख कर घूमते हैं।
हमें तो उन पुलिस वालों को देख कर बड़ा आश्चर्य होता है जिनके तोंद फैली हुई होती है। जाहिर है वे बहुत आराम तलब हो जाते हैं। एक तोंद वाला सिपाही जो सौ कदम भागने में ही हांफने लगे वह किसी चैन स् नेचर को दौड़ कर क्या पकड़ सकता है? दूरदर्शी वित्त मंत्री को हम बजट पूर्व एक नेक सलाह देना चाहते हैं- वे तय कर दें कि एक खास गोलाई के बाद तोंद वालों से टैक्स वसूला जाएगा जिसे ‘तोंद टैक्सÓ के नाम से जाना जाए। इससे सरकार को मोटा राजस्व प्राप्त होगा। यूं भी पिछली तिमाही में विकास दर घटी है हो सकता है कि इस टैक्स से सरकार को कुछ सहारा मिले। है न यह जोरदार सुझाव। – राही