ईश्वर-अल्लाह ने हमें बनाया ही काला है तो फिर गिला कैसा। और क्या काले खूबसूरत नहीं होते? राम और कृष्ण दोनों सांवले थे
सम्माननीय हाकिम साहब और क्या कहते। अब हमने काले से गोरा होने के लिए अपने थोबड़े पर क्रीम पोतना शुरू किया और वर्षों क्रीम लगाने के बाद कौवे से हंस नहीं बन पाए तो इसमें अदालत क्या करेगी। अब ईश्वर-अल्लाह ने हमें बनाया ही काला है तो फिर गिला कैसा। और क्या काले खूबसूरत नहीं होते? राम और कृष्ण दोनों सांवले थे। द्रौपदी भी काली थी। पता नहीं क्यों हम मान बैठे हैं कि जो गोरा है वह ज्यादा सुन्दर होता है।
कहना न होगा कि यह मानसिकता हमारे देश में अंग्रेजों के आने के बाद घुसी है। तभी हम अंग्रेजी जुबान को सर्वश्रेष्ठ, अंग्रेजी निजाम को सबसे अच्छा और गोरी चमड़ी को सुन्दरता का पर्याय मानने लगे हैं। और एक-दो बार नहीं, हजारों बार यह सिद्ध हो चुका है कि चमड़ी के रंग से बुद्धिमत्ता का कोई लेना-देना नहीं है। माननीय ने एक और जोरदार बात कही- कल को तो आप गंजे हैं और बार-बार बाल उगाने वाला तेल लगाने से आपके सर पर बाल नहीं उगे तो इसमें कोर्ट क्या करेगा। दरअसल कुछ चालाक लोग आपकी इसी चालाकी का फायदा उठा कर अरबों कमाते हैं।
बहुराष्ट्रीय कंपनियां आजादी के बाद से लेकर आज तक खरबों रुपए के क्रीम-पाउडर-तेल बेच चुकी हैं और अब तो इस होड़ में अपने देसी बाबा तक शामिल हो चुके हैं। कोई कहता है कि ग्वारपाठे का गूदा चेहरे पर लगाओ तो गोरे हो जाओगे। एक जनाब तो कह रहे हैं कि गऊमाता का मूत्र आपकी तवचा को निखार देगा।
कसम से स्वयं गऊमाता से भी यह बात पूछी जाए तो वह इनकार कर देगी। लेकिन आदमी और सुन्दरता का नाता बड़ा पुराना है। क्या आपने बचपन में कोई कहानी सुनी है जिसकी नायिका राजकुमारी बदसूरत और काली थी। काली औरतों को सदा खलनायिका का दर्जा मिलता रहा है। अगर खुदा- न-खास्ता किसी कथा की नायिका काली है तो अंत में उसे किसी वरदान से गोरी और सुन्दर बना दिया जाता है। अब आप यह न कहना कि गोरे और काले रंग का झगड़ा हमारे देश में ही है। पिछले दिनों हमने महान साहित्यकार, ज्यां पाल सात्र्र का नाटक ‘संभ्रान्त वेश्या’ पढ़ा।
इस नाटक में निर्दोष हब्सियों (काले) लोगों को बेवजह क्रूर बता कर उनकी जान ले ली जाती है। यानी काले-गोरे का झगड़ा तथाकथित ‘सभ्यÓ देशों में भी चलता रहा है अगर आपको सचमुच अपनी त्वचा पर निखार लाना है तो बस चुटकी भर हल्दी, दो चुटकी आटे में मिला ले और उसमें दूध की मलाई डाल कर चेहरे पर लगा लें। देखिए क्या निखार आता है। पर धेले का इलाज हमें नहीं भाता और सौ रुपए की क्रीम खरीदने में नहीं झिझकते। वाह रे मेरे देश।
राही