scriptशतायु | Centenarians | Patrika News
ओपिनियन

शतायु

करीब पिचहत्तर पतझड़ देख चुके पुराने मित्र फोन पर बोले- सुनो।
तुम्हें बाऊजी याद कर रहे हैं।

Sep 29, 2015 / 10:49 pm

मुकेश शर्मा

Old friends

Old friends

करीब पिचहत्तर पतझड़ देख चुके पुराने मित्र फोन पर बोले- सुनो। तुम्हें बाऊजी याद कर रहे हैं। हम चौंके , क्या बाऊजी अभी हैं? हमारा बेवकूफाना सवाल सुन कर उसने तल्खी से कहा- मजे में हैंं, कचौरी-मिर्ची खाते हैं। परसों सौ बरस के हो रहे हैं।

तुम्हें पूछ रहे थे कि क्या हाल है उस गंजे के। मिलना हो तो आ जाना। दो दिन इंतजार का सब्ा्र नहीं था तो सांझ को ही मित्र के शतायु पिता से मिलने चले गए। हैरत हुई कि उन्होंने आवाज सुनते ही हमें पहचान लिया और बोले- बड़े व्यस्त हो। सही बात है भई नई पीढ़ी के पास बूढ़े-बडेरोंं को संभालने की फुरसत कहां है।


हमारी पीढ़ी तो साठ साल की होते-होते यह संवाद बोलने लगती हैं। हमने शर्मिन्दा होते हुए कहा- नहीं बाऊजी। आपसे मिलने को तो मन करता ही है।


वे बोले- मन तो मेरा भी न जाने क्या-क्या करता है पर काम तभी पूर्ण होता है जब उसे कर लिया जाए। बातों ही बातों में पूछा- आपकी लंबी उम्र का राज क्या है? उन्होंने ठहाका मारा और बोले- तुम मुझसे मिलने नहीं मेरी उम्र के राज पूछने आए हो। सुनो मेरे सौ साल का होने का रहस्य है- कम खाओ और गम खाओ।


हम बाऊजी से बात कर ही रहे थे कि इतने में हमारे मित्र की पौत्रवधू यानी बाऊजी के पड़पौते की पत्नी दो प्लेट में मिर्ची बड़े और चटनी रख कर ले आई। हमने पूरा बड़े केले के आकार का लम्बा मिर्ची बड़ा देख कर कहा- मैं तो ये नहीं खाता। वह हमारी प्लेट ले जाने लगी तो डोकरे ने कहा- ये नहीं खाता तो ठीक है इसे यहीं रख दे मैं खा लूंगा और देखते-देखते दोनों मिर्ची खा गए। हम हैरत से उन्हें देखने लगे तो वे हंस के बोले- क्या टुकुर-टुकुर देख रहा है। नजर मत लगा देना।


तभी बहू बोली- बगैर मिर्ची के बाऊजी को रोटी नहीं भाती। ये तो बाजार से मिर्च भी खरीदते हैं तो पहले चख कर देखते हैं। अब तो मसाले वाला सबसे तेज मिर्ची खुद ही पहुंचा जाता है।


दोस्त बोला- बाऊजी मिर्च के शौकीन हैं चाहे हरी हो या लाल। हमने हंसते हुए पूछा- और क्या-क्या शौक फरमाते हैं आप। बाऊजी ने कहा- लाला आज भी शाम को संक्षिप्त आचमन जरूर करता हूं।


दो साल पहले बीमार हो गया तो डॉक्टर ने कहा- खाने-पीने पर नियंत्रण करो। और जब उसे मेरी असली उम्र पता चली तो बोला- आपकी जो मरजी हो वो खाओ। इस उम्र में खाना-पीना आपका क्या बिगाड़ लेगा।


फिर हंस के बोले- बोल कुछ इच्छा हो तो मंगाऊं। हमने दोनों हाथ जोड़ कर उस सौ बरस के जवान से कहा- आपको प्रणाम। आप डेढ़ सौ साल जियें। उन्होंने ठहाका मार कर कहा- अरे दुआ देने में भी कंजूसी क्यों बरत रहा है। डेढ़ नहीं दो सौ साल तो बोल। – राही

Home / Prime / Opinion / शतायु

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो