scriptबदले बोल | Change Lyrics | Patrika News

बदले बोल

Published: Mar 23, 2015 12:43:00 am

सईद और
उनके साथ मिलकर सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी पर जम्मू-कश्मीर में फिर से शांति
बहाल

सांबा और कठुआ में हुए आतंकी हमलों के खिलाफ जम्मू-कश्मीर विधानसभा में रविवार को पारित हुआ प्रस्ताव अच्छी बात है लेकिन सवाल यह भी उठता है कि राज्य के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की किस बात पर यकीन किया जाए? जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण चुनाव के लिए आतंककारी संगठनों हुर्रियत कांफें्रस और सीमा पार के लोगों को श्रेय देने वाले सईद जब पाकिस्तान को आतंकवाद पर काबू पाने के लिए कहते हैं तो आश्चर्य भी होता है और हंसी भी आती है।

आश्चर्य इसलिए कि सईद की फितरत ऎसी नहीं कि एक महीने में उनका ह्वदय परिवर्तन हो जाए। गठबंधन सरकार चलाने के लिए ऎसे बयान देने की उनकी मजबूरी हास्यास्पद है। सईद अथवा पाकिस्तान को चेतावनी देने वाले तमाम लोगों को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि वह चेतावनियों से बाज आने वाला नहीं है।

उस पर अगर असर पड़ता तो वह कब का सुधर चुका होता। भारत में आतंकवाद की आग लगाने वाला पाकिस्तान आज उसी आग में जलने पर भी संभलने को तैयार नहीं। जिन आतंककारी संगठनों को उसने भारत के खिलाफ पाल-पोस कर बड़ा किया, वे ही उसे डस रहे हैं। बावजूद इसके वह गलतियों से सबक नहीं लेना चाहता तो इसका मतलब सईद सरीखे नेताओं को समझ लेना चाहिए।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के नाम पर अमरीका और यूरोपीय देशों से बेशुमार आर्थिक मदद लेने के बावजूद पाकिस्तान ने अमरीका के सबसे बड़े दुश्मन ओसामा बिन लादेन को शरण दी। पाकिस्तान की कलई खुल चुकी है और आज वह अपने ही जाल में ऎसा उलझा है कि निकलने का रास्ता नहीं मिल रहा।

जम्मू-कश्मीर चुनाव में बेहतर माहौल बनाने के लिए पाकिस्तान और आतंककारी संगठनों को धन्यवाद देने वाले सईद अपनी डांवाडोल होती सरकार को बचाने के लिए आज बदली-बदली भाषा बोल रहे हैं। सईद जैसे नेताओं की कथनी और करनी से ही आतंककारी संगठनों को शह मिलती है, वर्ना वे कब के नेस्तनाबूद हो चुके होते। सईद और उनके साथ मिलकर सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी पर जम्मू-कश्मीर में फिर से शांति बहाल करने की बड़ी जिम्मेदारी है।

केन्द्र में भाजपा सरकार है लिहाजा जम्मू-कश्मीर सरकार केन्द्र से सहयोग नहीं मिलने का बहाना भी नहीं बना सकती। इस काम में भाजपा की जिम्मेदारी और बड़ी हो जाती है। शांति कायम करने के साथ कश्मीर घाटी से विस्थापित होने वाले हिंदुओं के पुनर्वास की तरफ भी उसे ध्यान देना चाहिए। आजादी मिलने के बाद यह पहला मौका है जब जम्मू-कश्मीर और केन्द्र में भाजपा की सरकार है।

भाजपा के लिए यह मौका कुछ ऎसा कर दिखाने का है जिससे वह अपनी खोई साख फिर अर्जित कर सके। पिछले तीन दशकों से जम्मू-कश्मीर के बदतर होते हालात के लिए कोई भी दोषी रहा हो लेकिन उस गलती को अब भी सुधारा जा सकता है। भाजपा और पीपुल्स डेमोके्रटिक पार्टी को समझना होगा कि जम्मू-कश्मीर महज एक राज्य नहीं भारत का मुकुट है।



loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो