गोवा में ब्रिक्स सम्मेलन समाप्त हो गया। भारत सहित सभी देशों ने आतंकवाद, उसके पोषक देशों और फंडिंग करने वालों के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का आह्वान किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस, चीन, ब्राजील, द.अफ्रीका के शासनाध्यक्षों से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। साथ ही पाकिस्तान का नाम लिए बगैर संकेतों में जरूर बता दिया कि भारत का एक पड़ोसी आतंकवाद का सबसे बड़ा पनाहगार है।
उसे आतंकवादी देश घोषित करने और आर्थिक व सामरिक रूप से अलग-थलग करने की जरूरत है। सभी देश इस बात पर भी सहमत थे कि जो भी आतंकवाद को प्रश्रय देगा, आतंक व हिंसा को प्रायोजित करेगा उसे भी आतंकवाद की तरह ही खतरा माना जाएगा। हालांकि भारत ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने आतंकवाद व पाक में बैठे आतंकी सरगना मसूद अजहर पर चीन के रुख का मुद्दा जोर-शोर से उठाया पर कोई आश्वासन पाने में विफल रहा।
सम्मेलन में सदस्य देशों के बीच क्रेडिट रेटिंग, कृषि अनुसंधान, रेलवे, खेल, व्यापार, निवेश, आर्थिक क्षेत्र में सहयोग व आदान-प्रदान बढ़ाने के लक्ष्य तय किए गए। भारत को सबसे बड़ी सफलता रूस से दोस्ती और प्रगाढ़ करने व रक्षा क्षेत्र में अहम समझौतों के रूप में मिली।
अत्याधुनिक रूसी हेलीकॉप्टर व मिसाइल प्रणाली मिलने से हमारी सैन्य शक्ति बढ़ेगी जिससे हिंद महासागर में सैन्य संतुलन के साथ पाक जैसे आतंक के पोषक देश से होने वाले किसी भी खतरे से निपटा जा सकेगा। चीन का जहां तक सवाल है उसका मानस भांपना मुश्किल ही रहा। भारत से व्यापार उसकी मजबूरी है तो पाकिस्तान का सिरपरस्त भी बना रहना है। वह नहीं चाहता भारत हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने। इसीलिए पाकिस्तान को मदद के साथ उकसाता रहता है। अब सब ‘मेक इन इंडिया’ पर निर्भर है। औद्योगिक और उत्पादन क्षमता बढ़ाकर ही ड्रेगन को दबाया जा सकता है।