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कसौटी पर कोविंद

Published: Jul 25, 2017 10:59:00 pm

राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद रामनाथ कोविंद देश के प्रथम नागरिक बन गए। देश के संवैधानिक मुखिया

Ramnath Kovind

Ramnath Kovind

राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद रामनाथ कोविंद देश के प्रथम नागरिक बन गए। देश के संवैधानिक मुखिया और तीनों सेनाओं के कमांडर। कोविंद अब महामहिम हैं। संविधान प्रदत्त सर्वोच्च शक्तियां राष्ट्रपति पद में निहित हैं। कोविंद ने अपने पहले भाषण में अपनी जीवन यात्रा, देश के वर्तमान और भविष्य की रूपरेखा रखी। उन्होंने आश्वस्त किया कि संविधान की प्रस्तावना में उल्लेखित न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का वे सदैव पालन करेंगे।

देश की विविधता और समावेशी विचारधारा क ो कोविंद ने राष्ट्र की अद्वितीय धरोहर बताया। राष्ट्र की प्रगति को समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचाने का संकल्प लिया है। वर्तमान भारतीय समाज में इन मूल्यों को बरकरार रखने की अहम आवश्यकता है। कोविंद जिस पृष्ठभूमि से आते हैं और आज जो उन्होंने अहम मुकाम हासिल किया है, वे उस संघर्ष से भलीभांति परिचित हैं। ऐसे में उनके सामने चुनौतियों और अपेक्षाओं का शिखर भी है।

 संवैधानिक परंपराओं का निर्वहन करते हुए उन्हें एक सफल लोकतांत्रिक देश के रूप में भारत को आगे बढ़ाना है। समावेशी समाज की परिकल्पना को यथार्थ में परिलक्षित करने के लिए उन्हें एक संरक्षक की भूमिका भी निभानी होगी। विचारधाराओं के भंवर से निकलकर समाज को एक अविरल और सुमधुर धारा देनी होगी। राजनीति में कोविंद का जुड़ाव किसी पार्टी या फिर विचारधारा से रहा है लेकिन अब वे देश के राष्ट्रपति हैं।

 जिसमें सबका साथ और सबका विकास नारा नहीं हकीकत में सुनाई और दिखाई दे। देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति होने के साथ ही कोविंद के दौर में कई अहम और संवेदनशील मसले भी सामने हैं। उन्हें इनका परिपक्व समाधान ढूंढऩा होगा। विदेशी मोर्चों पर चीन और पाकिस्तान हैं तो घरेलू मोर्चे पर जम्मू-कश्मीर और दार्जिलिंग का मसला है, जहां बतौर राष्ट्रपति की सलाह बहुत अहम होगी। संसद के सुचारू संचालन के लिए भी सभी दलों को बेहतर संदेश देना होगा।

 आने वाले समय में लंबित विधेयकों को मंजूरी देने में भी कोविंद को कसौटी पर परखा जाएगा। वे इस चुनौती को अपने फैसलों के जरिए किस रूप में लेते हैं, इस पर भी देश की निगाहें रहेंगी। बहरहाल, कोविंद ने स्वयं स्वीकारा और राष्ट्र को भरोसा दिलाया है कि वे डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. राधाकृष्णन, डॉ. अब्दुल कलाम और प्रणब मुखर्जी जैसी विभूतियों के पद्चिन्हों पर चलेंगे।
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