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कुछ तो करो!

Published: Sep 19, 2016 10:40:00 pm

भारतीय सैनिकों में वो दम-खम है कि वे जब चाहे दुश्मन को धूल चटा सकते हैं लेकिन अभी वक्त पाकिस्तान को कूटनीति से धूल चटाने का है

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पाकिस्तान सुधरने वाला नहीं है। सुधरना या बदलना हमको ही होगा। आखिर कब तक हम हाथ पर हाथ रखे बैठे रहेंगे। यह समय नई-पुरानी सरकारों या नये-पुराने बयानों को याद दिला राजनीति चमकाने का नहीं है। यह समय है 130 करोड़ देशवासियों को भरोसा दिलाने का कि, भारत सरकार के हाथों भारत सुरक्षित है। अब तक जो हुआ सो हुआ, आगे ऐसा कुछ नहीं होगा कि, हमें शर्मिंदा होना पड़े अथवा अपना एक भी बहादुर खोना पड़े।

इसका यह मतलब भी नहीं है कि, भारत पाकिस्तान पर हमला कर दे जैसा कि सत्ता में आने से पहले ऐसी किसी भी घटना पर भाजपा कहती रही थी। यदि यह इतना आसान होता तो मोदी सरकार ढाई साल में पाकिस्तान पर कभी का हमला कर चुकी होती। भारतीय सैनिकों में वो दम-खम है कि वे जब चाहे दुश्मन को धूल चटा सकते हैं लेकिन अभी वक्त पाकिस्तान को कूटनीति से धूल चटाने का है। उसे यह बताने का है कि उसने हमारी शराफत का नाजायज फायदा उठाया है। सबसे पहले हमें पाकिस्तान से अपने तमाम कूटनीतिक और व्यापारिक सम्बंध समाप्त कर लेने चाहिए।

विश्व के सामने उसका आतंकी चेहरा तो पहले ही बेनकाब हो चुका फिर भी हमें चीन जैसे उसके हिमायतियों को उससे दूर करने की रणनीति पर काम करना चाहिए। जब हम इसमें कामयाब हो जाएं तब हमें पाक-अधिकृत कश्मीर में चल रहे सैन्य अड्डों को गुप्त या सीमित युद्ध से नष्ट करने का अभियान छेडऩा चाहिए।

उसे बलूचिस्तान में उलझाये रखने की रणनीति भी बुरी नहीं है। लेकिन इन सबके बीच पहली रणनीति उस मजबूत सुरक्षा की होनी चाहिए कि फिर कहीं पठानकोट या उरी नहीं हो। रक्षा मंत्री को कम से कम देश को इस बारे में तो पुख्ता आश्वासन देना चाहिए। यदि वे अपना घर भी मजबूत नहीं कर पाए तब फिर देश का रक्षा मंत्री रहने या नहीं रहने के बारे में उन्हें खुद ही सोचना चाहिए।

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