भारत सरकार पासपोर्ट बनाने की प्रक्रिया और नियमों का सरलीकरण कर रही है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इसकी घोषणा ट्वीट से कर रही हैं। नियम और प्रक्रिया का सरलीकरण होना ही चाहिए। इस काम में ही नहीं जनता से जुड़े हर काम में लालफीताशाही के अवसरों को जितना कम किया जा सकता है, किया जाए। इसके लिए विदेश मंत्री, उनका मंत्रालय और भारत सरकार की सराहना होनी चाहिए लेकिन इसी के साथ इस बात का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है कि पासपोर्ट पासपोर्ट होता है। उसके धारक की अपनी हैसियत होती है।
वह किसी स्कूल अथवा गली-मोहल्ले के किसी क्लब के परिचय पत्र जैसा नहीं है। वह ऐसा दस्तावेज है जिसे लेकर कोई भी व्यक्ति विदेश जाता है। वहां उसी के आधार पर, उसकी नहीं, भारत और भारतीयों की प्रतिष्ठा आंकी जाती है। ऐसी जल्दबाजी में ऐसा कुछ स्थाई नुकसान नहीं होना चाहिए जिसकी भरपाई ही नहीं हो पाए। हमारे यहां आधार कार्ड, वोटर आईडी कैसे बनते हैं, किसी से छिपा नहीं है। नाम किसी का, फोटो किसी की और पता किसी का।
एक ही आधार या वोटर आईडी कार्ड के कई जगह इस्तेमाल की खबरें भी जब-तब अखबारों की सुर्खियां बनती रहती हैं। करोड़ों नहीं तो देश भर में लाखों लोग होंगे, जिनके इन कार्डों में नाम कुछ होंगे और उनकी स्पैलिंग कुछ होगी। इस बात में कोई शक नहीं है कि विभाग ने इस सरलीकरण में भी ऐहतियात तो बरती होंगी लेकिन सवाल यह है कि अगर कोई ‘कुशल प्रबंधक’ इन सब का प्रबंध कर सात दिन में पासपोर्ट ले विदेश चला गया तब फिर सालों लगेंगे, इन्टरपोल की मदद से उसे ढूंढ़ने में। अभी ‘तुरंत’ का पासपोर्ट सात दिन में और सामान्यत: करीब डेढ़ माह में बनता है। इस देरी की सबसे बड़ी वजह पुलिस द्वारा की जाने वाली उस व्यक्ति के निवास, चरित्र और परिवार की पृष्ठभूमि की जांच है।
जरूरत इस अवधि को कम करने की है लेकिन क्योंकि थानों में पर्याप्त स्टाफ नहीं है, इसलिए इस प्रक्रिया में देरी होती है। जरूरत इस कमी को दूर करने की है ताकि किसी भी जरूरतमंद को समय से पासपोर्ट मिल सके और उसका कोई बड़ा काम नहीं अटके। नियम प्रक्रिया का सरलीकरण हर सूरत में होना चाहिए लेकिन ‘पासपोर्ट’ नामक दस्तावेज की जो पहचान और प्रतिष्ठा आज देश में है, वह हर कीमत पर बनी रहे।
आज आधार या वोटर आई कार्ड फर्जी बनवा लेने का दावा हर कोई कर लेगा लेकिन फर्जी पासपोर्ट बनवा लेने का दावा कोई बहुत आसानी से नहीं कर पाएगा। यह विश्वास बना रहे, सरकार को यह ध्यान में रखना चाहिए। इसमें सस्ती लोकप्रियता के लिए कहीं कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।