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अहंकार

Published: Nov 29, 2015 09:14:00 pm

भैया ये दुनिया किसी के लिए भी नहीं रुकती। देश कांग्रेस या भाजपा के अहंकार’ से नहीं जनता के संयम से चल रहा है

PM modi

PM modi

बड़ा दिलचस्प शब्द है ‘अहंकार;। हम आसानी से खुद को पाक-साफ दर्शाने के चक्कर में दूजे पर अहंकारी होने का आरोप जड़ देते हैं लेकिन सच तो ये है कि अहंकार सभी में होता है। फर्क सिर्फ इतना है कि दुनिया को दिखाने के लिए हम अपने अहंकार को मन में सात तालों भीतर जकड़ कर रखते हैं। लेकिन अहंकार भी यूरोप के महान जादूगर ‘हुडीनी’ की तरह है जिसके सारे शरीर में दर्जनों ताले बांध बर्फ की झील में फेंक दिया गया और थोड़ी देर में वह बाहर निकल आया। आम तौर पर इस शब्द का प्रयोग धर्मोपदेशक, कथावाचक, मानव ज्ञान की बातें करने वाले, समाज सुधारक ही ज्यादा करते हैं पर पिछले दिनों अहंकार’ का सबसे ज्यादा राजनीति में इस्तेमाल हुआ और इसका श्रेय है नमो को।

उनके रणनीतिकार जानते थे कि देश की जनता को अहंकार से नफरत है। ज्ञानी होने के बावजूद रावण, महाबली होने के बाद भी कर्ण, महादानी होने पर भी बलि उसे इसीलिए नापसन्द थे कि ये सब अहंकारी थे। इसीलिए वे हर सभा में कांग्रेस के अहंकार का जिक्र करते। और उनकी रणनीति सफल भी रही और कांग्रेस चव्वालीस पर सिमट गई। लेकिन यह जो सत्ता सुन्दरी बड़ी मायावी होती है। जैसे ही कांग्रेस धूलधूसरित हुई, वह मोदी के जाकर चिपक गई और उनके मन में भी शनै: शनै: अहंकार ने डेरा डाल लिया।

मजे की बात देखिए कि जिस कांग्रेस को नरेन्द्र भाई ‘अहंकारी’ बताते नहीं थकते थे वही कांग्रेस और कुछ-कुछ हाशिए पर बैठे भाजपाई बुजुर्ग भी उन्हें अहंकारी होने का तमगा देने लगे जो कमोबेश सही भी था। लेकिन लगता है बिहार की कुश्ती में धोबी पछाड़ हार और संसद में विपक्षियों की एकजुटता के सामने शाह कम्पनी ने अपने अहंकार को दूर रखना ही श्रेयस्कर समझा। उन्होंने न केवल संसद में संयत भाषण दिया वरन पुराने अर्थशास्त्री मौनमोहन सिंह और कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी को अपने घर चाय पर भी बुलाया लेकिन मजा देखिए नरेन्द्र भाई के इस नरम रुख पर अब कांग्रेसी अअटअहास कर रहे हैं कि देखो हमारे बगैर काम नहीं चल पा रहा।

एक बात और बता दें भैया ये दुनिया किसी के लिए भी नहीं रुकती। देश कांग्रेस या भाजपा के अहंकार’ से नहीं जनता के संयम से चल रहा है। बहरहाल रूपवती को सुन्दरता के, ज्ञानी को विद्वता के, बलवान को अपनी ताकत के, कवि को काव्य के, हलवाई को मधुरता के, डॉक्टर-वैद्य को अपने हाथ की शफाई के, दानी को दान के, धनवान को पैसे के, नेता को कुर्सी के और लेखक को अपनी कलम की धार के अहंकार से हमेशा बचना चाहिए। अहंकार तो रावण का भी साबित नहीं बचा जो सोने की लंका का स्वामी था।
राही

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