उम्मीद के मुताबिक भाजपा के रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति चुन लिए गए। आंकड़ों का गणित कोविंद
उम्मीद के मुताबिक भाजपा के
रामनाथ कोविंद देश के 14वें राष्ट्रपति चुन लिए गए। आंकड़ों का गणित कोविंद के साथ था लिहाजा भारी अन्तर के साथ उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी मीरा कुमार को शिकस्त दी। आजादी के 70 सालों में पहला मौका होगा जब भाजपा की विचारधारा का कोई व्यक्ति राष्ट्रपति पद पर आसीन होगा। राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद कोविंद ने अपनी जीत को भावुक क्षण करार देते हुए इसे देश के लोकतंत्र की जीत बताया।
प्रचार अभियान के दौरान कोविंद और मीरा कुमार ने राष्ट्रपति चुनाव के मतदाताओं तक अपनी आवाज पहुंचाने की हर कोशिश की। अन्तरात्मा की आवाज पर मतदान करने की अपील भी सामने आई तो दलित वर्ग का मुद्दा भी छाया रहा। अच्छी बात ये कि प्रचार में कटुता नहीं दिखी। कोविंद ने मीरा कुमार को तो मीरा कुमार ने कोविंद को बधाई दी। प्रधानमंत्री ने भी लोकतान्त्रिक मूल्यों की प्रतिबद्धता के लिए मीरा कुमार को बधाई दी। यही भारतीय लोकतंत्र की खूबी भी है।
सामान्य परिवार से संबंधित कोविंद के सामने पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों द्वारा स्थापित परम्पराओं को बढ़ाने की जिम्मेदारी है। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन और एपीजे
अब्दुल कलाम जैसे राष्ट्रपतियों ने इस पद की गरिमा को जिस तरह चार चांद लगाए, कोविंद से भी कुछ ऐसी ही अपेक्षा की जाती है। 12 वर्ष तक सांसद के रूप में कोविंद संसद में हर मुद्दे पर खुलकर बोले भी और दूसरों को सुना भी। टकराव की राजनीति के दौर में कोविंद की पहचान संजीदा राजनेता के रूप में की रही है। बिहार का राज्यपाल रहते हुए उनकी नीतीश सरकार के साथ अच्छी पटरी बैठी। भाजपा के विरोध में होने के बावजूद
नीतीश कुमार की पार्टी ने कोविंद का साथ दिया।
लम्बे राजनीतिक कार्यकाल में वे सबको साथ लेकर चले। कोविंद अब देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने जा रहे हैं। दलगत राजनीति से उठकर उन्हें भविष्य में भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए। यूं तो राष्ट्रपति का पद संवैधानिक मर्यादाओं में बंधा है फिर भी राष्ट्रपति अपने विवेक से उन मर्यादाओं को लांघ सकता है।
अनेक पूर्व राष्ट्रपतियों ने कुछ ऐसे उदाहरण पेश किए हैं जो लम्बे समय तक याद किए जाएंगे। कल तक कोविंद भाजपा के प्रत्याशी थे लेकिन आज वे देश के राष्ट्रपति चुन लिए गए हैं। उम्मीद है आगे भी वे देश को साथ लेकर चलने की राह पर चलते रहेंगे।