हमका माफी देई दो
Published: Apr 27, 2015 10:02:00 pm
आप तो गलतियां करते रहे और माफी मांगते रहें। माफी
मांगने से पाप धुल जाएं तो भाई साब चोर, लफंगे, भ्रष्ट, बचे ही नहीं
अच्छा
भाई साब एक बात बताइए। आप अपने रास्ते चले जा रहे हैं और हम टंगड़ी लगा कर आपको
गिरा दें और इसके बाद सॉरी कह कर आपसे माफी मांग लें तो आप क्या करेंगे? पहली बार
आप माफ कर देंगे। दूसरी बार हम आपको गाली दें और माफी मांग लें। हो सकता है कि
भलमनसाहत में आप इस बार भी माफ कर दें। तीसरी बार आपकी बूढ़ी दादी गुजर गई हो और हम
घर के सामने बैंडबाजे के साथ नाच कूद करें और बाद में माफी मांग लें। क्या इस बार
भी आप हमें माफ कर देंगे।
यहां दो बातें हो सकती हैं। या तो आप हमें झूठा मक्कार
मान ले या फिर सरेआम चौराहे पर चार जूते लगा कर हमारे रहे-सहे बाल उड़ा दें। आप
कहेंगे कि हम आज यह क्या अति मूर्खतापूर्ण अहमकाना बातें क्यों कर रहे हैं। जी हां।
हम अपने देश के माफी राजा की बात कर रहे हैं। जो कहने को तो देश के दिल दिल्ली के
मुख्यमंत्री हैं पर आए दिन बात-बात में माफी मांगते रहते हैं इन्हें आप मजे-मजे में
माफीराजा की पदवी दे सकते हैं। जी हां। हम एके 67 बात कर रहे हैं।
जो मरजी में आए
कहते हैं और दो दिन बाद ही टेसुएं बहाते हुए माफी मांग लेते हैं। अरे भाई गलती करते
ही क्यों हो? अगर देश का प्रधानमंत्री या सूबे का मुख्यमंत्री गलती करे तो क्या उसे
जनता माफ करती है? एक कथा हमें बड़ी प्रिय है। एक बादशाह ने अपने शहजादे को एक आलिम
उस्ताद के पास पढ़ने भेजा। शहजादे के संग उस्ताद का बेटा भी पढ़ता था। जब उस्ताद का
बेटा कोई गलती कर देता तो उस्ताद उससे कुछ खास नहीं कहता लेकिन जब शहजादा गलती करता
तो उस्ताद उसे खूब खरी- खोटी सुनाता। कान भी उमेठ देता था। यह दुभांती बात देख कर
शहजादे को गुस्सा आया और उसने अपने वालिद बादशाह सलामत से शिकायत कर दी। बादशाह भी
बड़ा क्रोधित हुआ।
सीधा उस्ताद के पास जा पहुंचा और बोला- अरे आलिम बुजुर्गवार!
उस्ताद की नजर में तो सब बराबर होते हैं तू अपने बेटे को कुछ नहीं कहता और मेरे
बेटे को डांटता है। उस्ताद बोला- बादशाह सुन। मेरा बेटा बड़ा होकर साधारण आदमी ही
रहेगा पर तेरा बेटा तो तेरे बाद हुकूमत संभालेगा। इसकी एक गलती पूरे मुल्क पर भारी
पड़ेगी। तो भाई केजरीवाल, यह बार-बार गलती करने और माफी मांगने की आदत छोड़ दीजिए।
फिर गजेन्द्र की मौत के बाद भाष्ाण तो ऎसी गलती है जिसका परिमार्जन बड़ा मुश्किल है
पर आप क्यों चिन्ता करते हैं। आप तो गलतियां करते रहे और माफी मांगते रहें। माफी
मांगने से पाप धुल जाएं तो भाई साब इस देश में चोर, डाकू, लफंगे, भ्रष्ट, हत्यारे
बचे ही नहीं। चलिए ये तो अपराध है।
राजनीति में एक से एक घोटालेबाज भरे पड़े हैं।
ये भी अपने-अपने कुकर्मो की माफी मांग लें और हो जाएं टेंशन मुक्त। बहरहाल हम
खरी-खरी लिखने की माफी मांग लेते हैं। माफी मांगने में कौन सी लल्लो घिसती है।
सॉरी, वैरी सॉरी। अब तो हंसिए क्यों चढ़ा रखी है अपनी त्यौरी।
राही