जहर वमन कब तक?
Published: Jul 21, 2017 10:24:00 pm
फारुख अब्दुल्ला आखिर शांत जल में पत्थर फेंकने से बाज क्यों नहीं
आते? ऐसा विवादित बयान देते हैं जो देश को मंजूर हो ही नहीं सकता।
अब्दुल्ला का ताजा बयान आया है कि कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए भारत को
तीसरे पक्ष से मध्यस्थता करानी चाहिए
फारुख अब्दुल्ला आखिर शांत जल में पत्थर फेंकने से बाज क्यों नहीं आते? ऐसा विवादित बयान देते हैं जो देश को मंजूर हो ही नहीं सकता। अब्दुल्ला का ताजा बयान आया है कि कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए भारत को तीसरे पक्ष से मध्यस्थता करानी चाहिए। पाक अधिकृत कश्मीर के बारे में भी अब्दुल्ला पिछले दिनों देश विरोधी बयान दे चुके हैं।
वे जानते हैं कि कश्मीर पर मध्यस्थता के तमाम प्रस्तावों को भारत पहले भी ठुकरा चुका है। अब्दुल्लाा लंबे समय से मध्यस्थता का राग अलाप रहे पाक के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं। ऐसे बयानों के जरिए अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर में खोए अपने जनाधार को पाना चाहते हैं। वे शायद भूल रहे हैं कि जनता भी कश्मीर मुद्दे पर किसी की मध्यस्थता नहीं चाहती। अब्दुल्ला तीन बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। केन्द्र में भी पद संभाल चुके हैं।
उनसे उम्मीद की जाती है कि कश्मीर पर भारत की राय के विपरीत दूसरी राय वे न रखें। इस बार उन्होंने अमरीका के साथ चीन का भी नाम लिया। चीन के साथ हमारे रिश्ते किसी से छिपे नहीं है। ये अच्छी बात है कि सभी राजनीतिक दलों ने अब्दुल्ला के इस गैर जिम्मेदाराना बयान का खुलकर विरोध किया। देश में तमाम विचारधाराओं के लोग हैं।
राजनीतिक रूप से एक-दूसरे का विरोध भी करते हैं लेकिन ये देश का मुद्दा है और जिम्मेदार राजनेताओं से उम्मीद की जाती है कि वे ऐसे मुद्दों पर संभलकर बोलें। सरकार को भी ऐसे देश विरोधी बयानों पर सख्ती से पेश आना चाहिए। पहले भी आजम खां, असदुद्दीन ओवैसी जैसे लोग देश के खिलाफ जहर उगलते रहे हैं। ऐसे बयानों से चंद वोटों का फायदा तो हो सकता है लेनिक इससे देश को कितना नुकसान होगा, इसका ध्यान भी रखा जाना चाहिए।