script

हर दफ्तर में रिश्वती

Published: Aug 25, 2016 09:43:00 pm

चाहे बिजली का दफ्तर हो या पानी का। चाहे खान विभाग हो या  सड़क बनाने वाले। हर जगह रिश्वतियों का बोलबाला है

opinion news

opinion news

व्यंग्य राही की कलम से
शायर ने लिखा था- बरबादे गुलिस्तां करने को एक ही उल्लू काफी है, हर शाख पर उल्लू बैठा है अंजामे गुलिस्तां क्या होगा? शायरेआजम से मुआफी चाहते हम अर्ज करते हैं कि देश को बरबाद करने को एक ही रिश्वती काफी होता है। यहां तो हर दफ्तर में रिश्वती बैठे हैं। बिजली महकमे के एक मुख्य अभियंता और एक अधिशासी अभियंता को हजारों की रिश्वत लेते भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने दबोच लिया। यह तो बानगी है। चाहे बिजली का दफ्तर हो या पानी का। चाहे खान विभाग हो या सड़क बनाने वाले। हर जगह रिश्वतियों का बोलबाला है। कहीं का थानेदार पकड़ा जाता है तो कहीं डॉक्टर।

 सचिव स्तर के आला अफसर तक रिश्वत लेते पकड़े जा रहे हैं। नरेन्द्र भाई मोदी ने एक बार तो हमारी आशा के पंछी के तगड़े पंख लगा दिए थे। चुनावों से पहले और बाद के कुछ दिनों में भी उन्होंने कहा था- खाऊंगा न खाने दूंगा। कसम से तब हमारा उन पर बड़ा विश्वास जमा था। हमें आज भी यकीन है कि वे अपने जीवन में कभी नहीं खाएंगे लेकिन उनका क्रांतिकारी नारा आधा ही सफल हुआ। ‘न खाने दूंगा’ के मामले में तो नितांत कमजोर रहे। एक आम आदमी का प्रधानमंत्री या उनके कार्यालय में काम थोड़ी पड़ता है। इस देश के सामान्य जनों को तो बिजली, पानी, सड़क, पटवार घर, तहसील, सचिवालय जैसे महकमों में ही काम पड़ता है।

वहां ‘खाना’ तो बदस्तूर जारी है। सीधा-सा अर्थ है कि रिश्वत का तंत्र जोर-शोर से चल रहा है। यह कब रुकेगा? कुछ लोग कहते हैं कि रिश्वत देना बंद कर दो। अजी कौन ऐसा गांठ का पूरा होगा जो जबरदस्ती किसी को रिश्वत देगा। एक कागज पकड़ाने के लिए सत्तर चक्कर कटवाए जाते हैं। हम तो नरेन्द्र भाई से अर्ज करना चाहते हैं कि अगर आपने ‘न खाने दूंगा’ का वादा पूरा कर दिया तो कसम से जितनी शताब्दी चाहो उतने कुर्सी पर बैठे रहना। लेकिन इन भ्रष्टाचारियों से तो पिंड छुड़ाओ।

ट्रेंडिंग वीडियो