व्यंग्य राही की कलम से
मंत्री पद की शपथ लेते ही चतुर साले ने मंत्रीजी के पास आकर कहा- जीजा जी! जैसे चांदनी चार दिन की होती है वैसे ही आजकल मंत्री पद का भी कोई भरोसा नहीं। इसलिए जो कमाना है वह शुरू में ही कमा लो वरना बाद में चूल्हे पीछे बैठ कर रोना पड़ेगा। मंत्रीजी बोले- साले! अगर तू मेरा साला नहीं होता तो मैं तुझे अपना ओएसडी बना लेता लेकिन ऊपर वाले की नजरें तेज है।
इसलिए मुझे पूरी ईमानदारी से पुख्ता काम करना पड़ेगा। वैसे तू जो करना चाहता है कर। बहती गंगा में नहीं नहाये तो सूखा पडऩे पर मुंह धोना भी नसीब नहीं होगा। साले ने तुरंत अपने रसोइए के नाम पर एक कम्पनी रजिस्टर्ड कराई। मंत्री जीजा ने तुरंत अपने चुनाव क्षेत्र में गंदे नाले को पुख्ता बनाने की अधिसूचना जारी की। एक निहायत ईमानदार ठेकेदार ने उसके लिए तीन करोड़ का टेण्डर भर दिया। साले ने अपनी फर्म की तरफ से ढाई करोड़ का टेण्डर भरा और एक बड़े ठेकेदार से नौ करोड़ का टेण्डर भरवा दिया। मंत्री बोला- अरे साले।
अब क्या करें। साला बोला- देखिए ऐसा कीजिए आप मुझे और ईमानदार ठेकेदार को अनुभवहीन बताकर टेण्डर से बाहर करवा दीजिए और काम नौ करोड़ वाली फर्म को दीजिए। मंत्री ने कहा- लेकिन इससे हमें क्या फायदा। साला बोला- आपका ही नहीं सबका फायदा। बड़े ठेकेदार से बात कर ली है। नौ करोड़ में से तीन करोड़ आपके और तीन करोड़ बड़े ठेकेदार के। मंत्रीजी ने पूछा- फिर नाला कौन बनाएगा? साला बोला- नाला ईमानदार ठेकेदार बनाएगा।
तीन करोड़ में बनाने को तैयार है ही। दो करोड़ का माल, पचहत्तर लाख उसकी लेबर और पच्चीस लाख का मुनाफा। काम एकदम पुख्ता होगा। किसी का बाप भी कमी नहीं निकाल सकता। आखिर आप जनता का भला करने ही तो राजनीति में घुसे हैं। मंत्रीजी की आंख से आंसू आ गए और साले को गले लगाकर बोले- तेरा जीजा होना मेरा सौभाग्य है। तू सचमुच दुनिया का सर्वश्रेष्ठ साला है।