लक्ष्मी का आवक-जावक होते रहना चाहिए। घर में पड़ा-पड़ा रुपया सड़ने लगे तो संतान बिगड़ने के पूरे आसार रहते हैं
छापाखाना क्लब में कड़वे पेय की चुस्की मारते गुरु बृहस्पति बोले- हे कलियुगी संतो खाते को दाता देता है। हमने पूछा गुरु! आपकी बात पल्ले नहीं पड़ी। उन्होंने नासमझ बच्चे की तरह हमें देखा और बोले- यूं तो तुम बड़ा ज्ञान बघारते रहते हो पर हमारी छोटी-सी बात भी तुम्हारे पल्ले नहीं पड़ी। ‘खाते को दाता देता है’ का अर्थ है जो आदमी खर्च करता है उसे ही मिलता है। लगता है या तो तुम्हारी समझदानी का ढक्कन छोटा है या तुम्हारे दिमाग के छिद्रों में कूड़ा फंस गया है।
चलो मैं अपना उदाहरण देकर समझाता हूं। जब मैं अपना शहर छोड़ राजधानी आया तो आमदनी कम थी और खर्चा ज्यादा था। तब मेरे मित्र धीरु ने कहा- देखो भाई शहर में रहना है तो खर्चा बढ़ाओ। छोटे घर की जगह बड़ा घर किराए पर लो। मॉपेड की जगह स्कूटर खरीदो। मैंने कहा- भाई कैसी बात करते हो।
अरे जब जेब में पैसा ही नहीं तो खर्च कैसे करूं। धीरु ने कहा-तुम अपनी बात को उल्टा कर लो। जब ज्यादा खर्च करोगे तभी ज्यादा कमाने की सोचोगे। हमने कहा- हरेक इंसान इतना साहसी नहीं होता। इस देश का आम आदमी तो परम संतोषी है। वह अपनी गुदड़ी देख कर ही पांव पसारता है। गुरु बोले- ठीक बात है लेकिन जब तक पांव नहीं पसारोगे तब तक पता ही नहीं चलेगा कि आपको कितनी बड़ी गुदड़ी की आवश्यकता है और पुरानी कहावत है- आवश्यकता आविष्कार की जननी है। जब धन की आवश्यकता होगी तभी तो अधिक कमाने की सोचोगे।
हमने कहा- लगता है आप चार्वाक के शिष्य हैं- ऋ णं कृत्वा घृतं पिवेत यानी कर्जा लो और मजे करो। उन्होंने कहा- फिर कुतर्क , मैं तुम्हें कृष्ण का उदाहरण देता हूं। गोकुल में कृष्ण के घर दूध-दही की कमी नहीं थी लेकिन फिर भी वे मथुरा आए। अगर गोकुल में रहते तो ज्यादा से ज्यादा योगी बाबे की तरह गाय का घी बेच रहे होते।
न मथुरा आते। न पढ़ते-लिखते। न गीता का ज्ञान दे पाते। अलबत्ता गोपियों से मक्खन के व्यंजन बनाना सीख रहे होते। अगर तुमने अच्छी कमाई कर ली तो उसे खर्च करना जरूरी है। लक्ष्मी का आवक-जावक होना चाहिए। पड़ा-पड़ा तो रुपया भी सड़ने लगता है। घर में रुपया सड़ने लगे तो संतान बिगड़ने के आसार हैं। अगर संतान बिगड़ गई तो पूरे खानदान की नाक ही नहीं कटती बल्कि पूर्वजों द्वारा कमाया यश भी नष्ट हो जाता है। चलो ज्ञान की बातें मुफ्त में सुन ली अब जरा आचमन के लिए दो कुल्हड़ सोमरस तो ऑर्डर करो। हमने कहा- गुरु जेब तो एकदम खाली है। गुरु बोले- गई भैंस पानी में । इतना ज्ञान दिया वो व्यर्थ ही रहा। भैंसे के आगे बीन बजाने का कोई लाभ नहीं मिला।
राही