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भारत-पाक……. (अनंत मिश्रा)

Published: Sep 27, 2016 07:47:00 pm

कुछ लोग सिंधु जल समझौते को तोड़कर पाकिस्तान को बूंद-बूंद तरसाने की बातें
कर रहे हैं तो एक तबका पाकिस्तानी कलाकारों को भारत से भगाने पर अडिग नजर आ
रहा है

Modi Sharif

Modi Sharif

‘पल में तोला-पल में माशा’ वाली कहावत को राजनीति खासकर कूटनीतिक रिश्तों में लागू करने की जरूरत समझ से परे जान पड़ती है। वो भी तब, जब बात भारत-पाकिस्तान के नाजुक सम्बंधों की हो। उरी में आतंककारी हमला हुआ तो हाहाकार मच गया। मचना भी था। सरकार से लेकर तमाम राजनीतिक दल और संगठन पिल पड़े पाकिस्तान को कोसने में। कोई कहता है पाकिस्तान पर हमला करके उसे नेस्तनाबूद कर देना चाहिए, तो कोई उसे कूटनीतिक तरीके से घेरने की वकालत कर रहा है।

कुछ लोग सिंधु जल समझौते को तोड़कर पाकिस्तान को बूंद-बूंद तरसाने की बातें कर रहे हैं तो एक तबका पाकिस्तानी कलाकारों को भारत से भगाने पर अडिग नजर आ रहा है। उरी में शहीद हुए 18 जवानों की शहादत के गुस्से ने ये हालात पैैदा किए हैं। उरी की घटना ने साबित कर दिया है कि पाकिस्तान कभी सुधर ही नहीं सकता। दुनिया दिखावे के लिए वो भले आतंकवाद से संघर्ष का नाटक करता नजर आए लेकिन हकीकत में वह आतंकवाद को पालने-पोसने वाला राष्ट्र है।

भारतीय संसद पर हमले से लेकर मुंबई, जयपुर, दिल्ली और बेंगलूरु को दहलाने की साजिश के पीछे उसके नापाक मंसूबे रहे हैं। आजादी के बाद से ही, एकाध अपवादों को छोड़ दिया जाए तो दोनों देशों के रिश्ते कड़वाहट भरे ही रहे हैं। 1965, 1971 और करगिल में हुए युद्ध इसके जीते- जागते उदाहरण हैं। भारत का एक बड़ा तबका हमेशा से पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह के रिश्ते रखने का धुर विरोधी रहा है। इस तबके का मानना है कि पाकिस्तान से हाथ मिलाने का मतलब ‘सांप को दूध पिलाने’ के बराबर है।

उरी के आतंककारी हमले के बाद ये तबका पूरी तरह सही साबित प्रतीत हो रहा है। पाकिस्तान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाने की कोशिश केन्द्र सरकार कर रही थी। उसे उम्मीद थी कि पाकिस्तान अपनी आदतों से बाज आएगा। उरी के हमले से वह उम्मीद पूरी तरह धराशायी हो चुकी है। सरकार के सामने अब एक ही विकल्प खुला रह गया है। पाकिस्तान को पूरी तरह बेनकाब करना। पाकिस्तान के रवैये में रत्ती भर सुधार नजर भी आए तो पिघलने की जरूरत नहीं है। न खेल के मैदान पर हाथ मिलाने की जरूरत है और न आमों की टोकरियां भेजने की। क्योंकि दिल मिले बिना हाथ मिलाने से कोई फायदा नहीं।

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