scriptफिर खाया धोखा ! (गोविन्द चतुर्वेदी) | Indian again cheated by China on NSG Issue | Patrika News

फिर खाया धोखा ! (गोविन्द चतुर्वेदी)

Published: Jun 25, 2016 08:46:00 am

किसे विश्वास था कि, इस बैठक में भारत को 48 देशों के इस समूह NSG की सदस्यता मिल जाएगी। शायद हमारी सरकार को

Chinese President Xi Jinping with Prime Minister N

Chinese President Xi Jinping with Prime Minister Narendra Modi

गोविन्द चतुर्वेदी

करीब पचास साल पहले भारत में एक फिल्म बनी थी-दो रास्ते। उसके गीतकार थे आनंद बख्शी। उसी फिल्म के एक गाने में उन्होंने एक लाईन लिखी थी- ‘जिसका डर था, बेदर्दी वही बात हो गई।’ परमाणु आपूतिकर्ता समूह (एनएसजी) की बैठक में शुक्रवार को भारत की सदस्यता का आवेदन खारिज करने पर यह लाईन सटीक बैठती है। किसे विश्वास था कि, इस बैठक में भारत को 48 देशों के इस समूह की सदस्यता मिल जाएगी। शायद हमारी सरकार को। और संभवत: इसलिए कि, आज की तारीख में दुनिया का सबसे ताकतवर देश, अमरीका हमारे साथ है। संभवत: इसलिए भी कि फ्रांस और ब्रिटेन जैसे बड़े देश भी हमारे साथ थे। ये सब रहे भी लेकिन हमारी तमाम कोशिशों के बाद चीन ने वही किया जिसका डर था। उसने हमारी सदस्यता पर ‘वीटो’ लगा दिया।

‘परमाणु अप्रसार संधि’ पर दस्तखत के बिना यदि भारत को सदस्यता देते हो तो पाकिस्तान को भी दो। दस और सदस्य उसके साथ हो गए। चीन के विरोध का डर हमें पहले से था। तभी तो सियोल बैठक से चौबीस घंटे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ताशकंद में, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले। उनसे समर्थन की बात की। जिनपिंग ने कूटनीतिक जवाब भी दिया था। इस जवाब से हमने चीन के समर्थन की उम्मीद पाल लीं लेकिन उसने वही किया जो सन् 1962 में किया। यानी विश्वासघात। लेकिन क्या यह धोखा चीन ने दिया? या यह धोखा भारत ने खाया। वह भी सब जानते-बूझते। भारत में बच्चा-बच्चा जानता है, चीन के बारे में। वह यह भी जानता है कि, चीन हमसे कितनी नफरत करता है? क्यों करता है? तब हमने उससे समर्थन की उम्मीद ही क्यों पाली? चीन ने हमें सपोर्ट नहीं किया तो उसमें उसका क्या दोष? गलती तो हमारी है कि हमने उसके समर्थन की उम्मीद की। हमें लगा कि, भारतीय प्रधानमंत्री के गृह राज्य में, उनके साथ झूला झूलकर जिनपिंग का मन बदल गया होगा? पर चीन इतना जल्दी बदलने वाला नहीं है। उसके राष्ट्रपति झूले को भी भूल गए और नागरिक अभिनंदन को भी। उन्हें याद रहा तो दिन ब दिन मजबूत होता भारत।

भारत एशिया ही नहीं दुनिया में चीन का बड़ा प्रतिद्वंद्वी है और रहेगा। वह पाकिस्तान की तरह उसका पिछलग्गू नहीं बन सकता। क्योंकि पिछले 30-40 सालों में पाकिस्तान को तमाम तरह की तकनीक देकर परमाणु क्षमता सम्पन्न बनाया ही चीन ने है लिहाजा वह उसे खड़ा भी रखना चाहता है। तभी तो उसने शर्त रख दी कि, बिना परमाणु प्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए यदि भारत को एनएसजी का सदस्य बनाना है तो पाकिस्तान को भी बनाओ। अपने रुख से चीन ने भारत को ही नहीं अमरीका को भी आईना दिखाने की कोशिश की है अमरीका ही नहीं चीन भी दम रखता है। यही समय है जब भारत को भी अपनी ताकत दिखानी चाहिए।

बाजारीकरण के दौर में चीन के लिए भारत का बड़ा बाजार बंद करने की कोशिश करनी चाहिए। बेशक ऐसे फैसले बहुत सोच-समझकर लेने होते हैं लेकिन हिम्मत से कर लिए तो भविष्य के लिए उपयोगी भी बहुत होते हैं। यदि अमरीका भी इसमें साथ जुड़ जाए तो कहने ही क्या? इससे अमरीका हमारा कितना साथ देगा, और किस हद तक साथ देगा, यह भी पता चल जाएगा। यदि आर्थिक रूप से चीन कमजोर होता है तो फिर पाकिस्तान उसे खड़ा नहीं रख पाएगा। उसकी मजबूरी होगी हमें साथ लेना और हमारी जरूरत है खुद को बुलंद करना। बार-बार धोखा खाने से बचना।

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