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ओपिनियन

महंगाई की रूलाई

एक कारण तथाकथित विकास दर भी है जिससे एक तबका समृद्ध
होता जा रहा है और दूसरे को दाल-प्याज भी नसीब नहीं है

Aug 31, 2015 / 11:04 pm

शंकर शर्मा

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एक हमें यार की जुदाई मार गई। दूसरी हमेशा की तन्हाई मार गई। तीसरी खुदा की खुदाई मार गई और बाकी कुछ बचा तो महंगाई मार गई… महंगाई मार गई। सौ का नोट लेकर बाजार में निकलो तो आधा किलो दाल और आधा किलो प्याज से पाव भर टमाटर भी घर ले जाओ तो आपकी जूती हमारा सिर। दाल और प्याज। यही तो थे गरीब के सहारे। पहले आदमी दाल-रोटी खाता था। उस वक्त यह जुमला प्रसिद्ध था कि भई दाल-रोटी खाकर पेट भरते हैं। भगवान दाल-रोटी देता रहे इतना ही काफी है। बेचारे मजदूर अपने घर से चार टिकड़ और एक प्याज पोटली में बांध कर दिहाड़ी पर चले जाते थे।

दोपहर में खाने के बखत एक मुक्का मार कर प्याज तोड़ देते और उसकी एक-एक फालर को रोटी के संग चबाते और ठंडा पानी पीकर डकार ले लेते थे। लेकिन अब दाल-रोटी की तो छोड़ो, प्याज-रोटी भी दूभर हो गई है। इधर मोदी सरकार के मंत्री शेयरों के उतरते भावों को लेकर हैरान-परेशान हैं। पिछली सरकार पर भौंपू की तरह चीखने चिल्लाने वाले क्या इस बार दाल-प्याज के उछाल मारते भावों पर मुंह सींकर क्यों बैठे हैं?

आज देश के करोड़ों लोग इन मामूली चीजों से ही महरूम हैं और सरकार “विकास दर” के पीछे सोटा लेकर पड़ी है। गोली मारो ऎसी विकास दर को जो गरीबों को दाल-प्याज तक मुहैया नहीं करा सकती। आप क्या समझते हैं कि इस बढ़ती महंगाई का असर हमारी सामाजिक जिन्दगी पर नहीं पड़ता? यह जो “एटीएम” लूटे जा रहे हैं। यह जो मॉडर्न मम्मी द्वारा अपनी ही बेटी को बहन बता कर मार डालनेे जैसे सनसनीखेज मामले सामने आ रहे हैं, यह जो सरेआम लूट-खसोट चल रही हैं इन सबके पीछे का एक छिपा कारण यह तथाकथित विकास दर भी है जिसके चलते एक तबका लगातार समृद्ध होता जा रहा है और दूसरे को दाल-प्याज भी मयस्सर नहीं हो पा रहा है।

अब तो सोशल मीडिया पर भी लोग कहने लगे हैं कि पीएम साब क्या आप गैलीलियो और वास्कोडिगामा की बात भी नहीं मानेंगे या खुद सारी दुनिया घूम -घूम कर तय करेंगे कि धरती गोल ही है। एक आंखन देखी सुनाते हैं। इस राखी को बहन से राखी बंधवाने बस में जा रहे थे। बगल में हरियाणा की एक ग्रामीण महिला तीन बच्चों के संग बैठी थी। कन्डक्टर ने पूछा- इन बच्चों की उमर कितनी है?

महिला बोली- पहले की दो साल, दूसरे की ढाई साल और तीसरे की तीन साल। कन्डक्टर ने हंस के कहा- भैंण जी चाहे टिकट मत लो पर बच्चों में गैप कम से कम नौ महीने का तो रखो। महिला ने गुस्से से कहा- करमफूटे! बीच वाला देरानी को है। तू टिकट काट, नेता की तरह ज्ञान मत बांट। प्याज तो सस्ते ना हो रहे, जग में भाष्ाण देता फिरैै। महिला का ताना सुन कन्डक्टर और सभी यात्री सन्न रह गए।
राही

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