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लिपा-पुता सौंदर्य

पिछले चार दिन से फेसबुकिया हसीनाओं ने माथा खराब कर रखा है। जिसे देखो
वही अपनी ‘मेकअप रहित सेल्फी’ वाली फोटो डाल रही है। कुछ मोहतरमाओं ने तो
हद ही कर दी। सुबह-सुबह उठते ही मंजन-दातुन तक नहीं किया, अपने …

Jul 23, 2017 / 10:21 pm

शंकर शर्मा

opinion news

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व्यंग्य राही की कलम से
पिछले चार दिन से फेसबुकिया हसीनाओं ने माथा खराब कर रखा है। जिसे देखो वही अपनी ‘मेकअप रहित सेल्फी’ वाली फोटो डाल रही है। कुछ मोहतरमाओं ने तो हद ही कर दी। सुबह-सुबह उठते ही मंजन-दातुन तक नहीं किया, अपने मोबाइल से तस्वीर खींची और ‘अपलोड’ कर दी। कई सुन्दरियां जो मेकअप में ‘रानी परममुखी’ नजर आती थी वह बगैर मेकअप के पूतना की बहन दिखलाई पड़ रही है।

एकाध तो मोटे-मोटे होठों से ‘भारतीय’ नहीं, ‘अफ्रीकी’ नजर आ रही हैं। इस चक्कर में कइयों की पोल खुल रही है। एक सुन्दरी सदैव अपने चेहरे को मेकअप की सात परतों में छिपाकर चिकना-चमकीला बनाए रखती थी लेकिन इस ‘मेकअप रहित सेल्फी’ की नामाकूल होड़ में पडऩे से उजागर हुआ कि उनके चेहरे पर बरसात के मौसम में, किसी निकम्मी सरकार की राजधानी की सड़कों पर पड़े जितने गहरे गड्ढे हैं। क्षमा करें।

हमारी इस बेबाक बयानी को आप ‘फेसबुकी भद्र महिलाओं’ के प्रति अशिष्टाचार न समझे। क्योंकि हमारे पिता ने मरते बखत वचन लिया था कि हम सदैव महिलाओं के प्रति शिष्टाचार रहेंगे। जहां तक क्रीम, पॉडर, रुज, लिपस्टिक का सवाल है, हमने अपनी दादी, नानी और अम्मा को कभी इनका प्रयोग करते नहीं देखा। बावजूद इसके उनके होंठ एकदम लाल थे, मुलतानी मिट्टी से धुले बाल चमकते थे और हुक्के के गुल और नमक से बने मंजन से उनके दांत मोतियों से चमकते थे। कड़ी मेहनत करने से वजन नहीं बढ़ा।

फेसबुक पर अपनी अलसाई, कुम्हलाई, बिननहाई फोटुओं को बार-बार शेयर करने के बावजूद एक भी कथित सुन्दरी ने यह नहीं लिखा कि आज के बाद हम कभी कृत्रिम सौन्दर्य प्रसाधनों का उपयोग नहीं करेंगी। ‘बाजार और मर्दों को लात’ मारने जैसे क्रांतिकारी लफ्जों का इस्तेमाल करने वाली इन अधेड़ सुन्दरियों को हमने सार्वजनिक जीवन में हमेशा लिपे-पुते ही देखा है।

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