जीवंत बहस
Published: Apr 21, 2015 11:29:00 pm
कसम से ऎसा देश हमने नहीं देखा। आप पूछ सकते हैं कि ऎसे कौन
से हमने दस-बीस देश देख लिए।
कसम से ऎसा देश हमने नहीं देखा। आप पूछ सकते हैं कि ऎसे कौन से हमने दस-बीस देश देख लिए। हमने आज तक इस देश की सीमा पार ही नहीं की। नेपाल और भूटान तक नहीं गए जहां जाने के लिए पासपोर्ट की भी जरूरत नहीं थी और भूटान में तो हमारा फौजी अफसर भाई भी दो बरस रहा जो कई बार कहता ही था कि काहे को मेढक बने हुए हो।
कुएं से बाहर तो निकलो। सच कहें। हमें घर से बाहर निकलते डर-सा लगता है। हम भले/हमारा घर भला। हमारी खाट भली और पुराना टीवी भला। तो बस हम घर में घुसते ही खादी का पाजामा पहन खाट पर पसरे-पसरे टीवी ताकते रहते हैं। हमें बहस सुनने की लत लग गई लेकिन क्या करें लत जब एक बार लग जाती है तो ससुरी छूटती ही नहीं।
पता है टीवी पर चलने वाली बहस में इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा है राहुल गांधी की अज्ञातवास से वापसी! राहुल करीब दो महीने छुट्टी पर रहे। लोग कहते हैं कि वे थाईलैण्ड में बौद्ध संन्यासियों के साथ ध्यान कर रहे थे।
अच्छी बात है। हम भी सात दिन के लिए अपने शहर में चलने वाले विपस्यना शिविर में जाना चाहते हैं पर फुरसत ही नहीं मिलती। कहते हैं कि ध्यान करने वालों को ध्यान के दिनों में मोबाइल, टेलीफोन, बातचीत सबसे दूर रहना पड़ता है। हम सब कुछ छोड़ सकते हैं पर टीवी नहीं। कैसा बिना टिकट मनोरंजन होता है। विभिन्न दलों के प्रवक्ता जो हुड़दंग करते हैंैं कि मजा आ जाता है। जैसे इन दिनों राहुल गांधी चर्चा में हैं। कांग्रेस कह रही है कि वे नया अवतार लेकर आए हैं। कांग्रेस में बात हो, यह तो समझ में आता है पर कांग्रेस से ज्यादा हमें भाजपा वालेज्यादा चिंतित नजर आते हैं।
कांग्रेस की तो मजबूरी है लेकिन भाजपा वाले काहे को “राहुल-राहुल” जपते रहते हैं। राहुल उनकी भी मजबूरी है। दरअसल मोदी ने पार्टी वालों से साफ-साफ कह रखा है कि भूल कर भी उनके नाम और काम पर बहस मत करना। अगर किसी ने चूं चपड़ की तो उसके हाल भी संजय जोशी जैसे कर देंगे। देखा नहीं लालजी को।
क्या मजाल कि बापड़े को किसी मंच पर एक लफ्ज भी बोलने का मौका मिल जाए। कह दिया मौन मार्गदर्शक बने रहो और अपना स्वास्थ्य ठीक रखो। दादा का कार्यकाल पूरा होते ही राष्ट्रपति भवन में बिठा देंगे। पीएम भले नहीं बन पाए प्रेसीडेन्ट तो बना ही सकते हैं। तो भाई साहब अब बीजेपी वालों के पास सिर्फ यही विष्ाय है कांग्रेस, सोनिया और राहुल। मैडम पर बेवजह कटाक्ष करके वे एक बार कुर्सी गंवा चुके हैं सो अब राहुल पर बक-बक करते रहते हैं।
बोलना बंद कर दें तो पूछेगा कौन? बार-बार मोदी चाालीसा गाने वाली जुबान को कुछ चरका भी तो चाहिएा। एक बात बता दें जिसका नाम बार-बार लिया जाता है वह उतना ही चर्चा में रहता है और वापसी भी कर जाता है।
इतनी-सी बात भगवा वीरों को कब समझ आएगी। अरे राहुल को छोड़ो राम का ही नाम ले लिया करो। राम के सहारे तो पत्थर भी तैर जाते हैं। – राही