script

बोल भाई बोल

Published: Jun 27, 2015 06:28:00 am

यहां मसला “पहनने” का
नहीं “खाने” का है। मान लिया बहनों ने रूपया पैसा नहीं खाया होगा पर “नैतिकता” तो
गिटक ली

Modi

Modi

चालनी बोल रही है। छलनी बोल रही है। कटोरे बोल रहे हैं। चेले-चांटे तक बोल रहे हैं लेकिन जिसे बोलना था यानी छाजला अर्थात् सूप नहीं बोल रहा। उसका काम है छांटना। अच्छा-अच्छा छाजले में रह जाता है और कूड़ा-करकट बाहर निकल जाता है। मोदी भाई को भी हम “छाजला” ही मानते थे।

इसीलिए उसके हाथ इतने मजबूत किए और”पंजे” की परवाह नहीं की। भाई ने बड़ी-बड़ी बातें की थीं। बिरादरी के कुछ लोगों ने उन्हें फेंकू तक कहा था पर हम मान बैठे थे कि चुनावों में सब चलता है। कम से कम भाई ईमानदार तो है। साल भर तो हनीमून पीरियड की तरह ठीक ठाक निकल गया। जनता भी चुप थी। बेचारे विरोधी भी कुछ खास नहीं निकाल पाए थे क्योंकि एक साल में कोई गंभीर घोटाला, कोई बड़ी हेराफेरी सामने नहीं आई थी। लेकिन साल बीतते-बीतते मानो जलजला आ गया। इधर मानसून ने दस्तक दी उधर एक के बाद एक रहस्योद्घाटन होने लगे।

भाई के ही “हम उपनामी” शातिर शख्स के पुराने कारनामे सामने आने लगे। एक के बाद एक चार बहनों की कलाबाजी के किस्से चौड़ेे आ गए। पूरे पन्द्रह दिन बीत गए पर भाई चुप है। हम तो बार-बार गुजारिश कर रहे हैं बोल भाई बोल। कुछ तो बोल। मुंह तो खोल। अच्छा क्या है बुरा क्या है इसे जाने दे लेकिन यह तो कह दे कि मेरी सरकार न्याय के साथ है और किसी ने गलत किया तो उसे कतई बख्शा नहीं जाएगा। मेरे भाई। हमने तुम्हें बड़े शौक से जिताया था। तेरे चक्कर में घर के बड़े-बूढ़ों तक को साफ बिसरा दिया।

“पंजे” को मुट्ठी में समेट दिया। चौतरफा “कमल” दल खिला दिए लेकिन अब तेरी चुप्पी से हमारे पेट में भी मरोड़े उठने लगे हैं। भाई सच में अगर तू अब भी नहीं बोला तो बोलेगा कब? क्या आकंठ डूबकर मानसून सत्र में बोलेगा। वह भी सिर पर आ रहा है। भाई तुझे काहे का डर कैशी शरम? हम तो तुझे निखालिश “संन्यासी” मानते थे हालांकि तुमने अपना नाम लिखा दस लखा सूट पहन कर खामखां पब्लिक में किरकिरी करवाई। खैर वो कोई खास बात नहीं थी। लेकिन यहां मसला “पहनने” का नहीं “खाने” का है। मान लिया बहनों ने रूपया पैसा नहीं खाया होगा पर “नैतिकता” तो गिटक ली।

भाई डर मत हम तेरे साथ हैं। कोई पार्टी तोड़े तो तोड़ने दे। तेरे सूबे में जिसने पार्टी तोड़ी उसका जनता ने क्या हाल किया, यह छिपा नहीं है। कसम से भाई। तेरा मौन अब भारी पड़ने लगा है। ऎसा न हो जनता तुझे “मौन अवतार-तृतीय” घोçष्ात कर दें। पहले मौनी राव साब, दूसरे मौनजी और तीसरा तुझे न मान ले।

कहीं राजनीति के इतिहास में तेरा जिक्र “3-डी मौनी बाबा ” के रूप में दर्ज न हो। भविष्य में बच्चे पढ़ें कि आजाद भारत में एक ऎसा पीएम हुआ जो दूसरों के लिए दहाड़ता था और अपनों के धत्कर्मो पर मौन हो जाता था। इसलिए बोल भाई बोल। अपनी तीसरी आंख खोल। इसी में तेरी और हम सबकी भलाई है।
राही

ट्रेंडिंग वीडियो