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नोटों की माया

Published: Feb 09, 2016 11:03:00 pm

पांच और दस हजार के नोट ‘भ्रष्टाचारियों’ के लिए सहायक होंगे जिन्हें घूसा गिनने के लिए घर में मशीन लगानी पड़ती है

Corruption

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उस जमाने में पांच का नोट ही हमारा माई बाप था। पांच रुपए जेब में डाल कर हम फूले-नहीं समाते थे। खुद को दुनिया का सबसे धनी इंसान समझते। घड़ी-घड़ी जेब में हाथ डाल कर उस नोट को संभालते, सहलाते और पुचकारते थे। लेकिन ऐसा भी नहीं था कि तब महंगाई नहीं थी। हालांकि उस जमाने में पांच रुपए का एक सेर घी आता था लेकिन तब ज्यादातर लोग रूखी रोटी भी खाते थे क्योंकि तब एक गृहस्थ को पांच रुपए भी आज के पांच हजार लगते थे।

धीरे-धीरे सरकार ने पांच सौ का नोट निकाला। हजार का जारी किया। कसम से जब हम पहली बार हजार रुपए का नोट बटुए में रख कर यह गाते हुए घर से निकले- मैं जिन्दगी का जश्न मनाता चला गया, हर फिक्र को धुंए में उड़ाता चला गया। उस दिन हमने जहां भी दस- पांच रुपए की खरीदारी की तो बटुए से नोट निकालने से पहले बड़ी शान से दुकानदार से पूछा- हजार के खुल्ले हैं। हजार के नोट का नाम सुनते ही कई दुकानदारों के चेहरों पर तो यह भाव उभरे- देखो अब लपकों और उठाईगीरों के पास भी हजार रुपए का कड़क नोट हो गया। लेकिन हाय।

अब हजार के नोट की कद्र भी आज के राजनेताओं सरीखी हो गई है जिन्हें देख कर किसी के मन में ‘रौब’ पैदा नहीं होता। अब सुना है सरकार पांच और दस हजार के नोट जारी कर रही है। इसका मतलब आप समझते हैं न। सीधा-सा अर्थ है कि अब पांच सौ और हजार रुपए के नोट की ‘वैल्यू’ नहीं बची है। आप खुद महसूस करते हैं। पांच सौ रुपए का नोट लेकर सब्जीमंडी में जाइए। पता चलता है कि चार-पांच बखत की साग-भाजी और कुछ मौसमी फल खरीदने में ही पांच सौ का नोट फुटकर रेजगारी में बदल गया है। चाहे दवा की दुकान हो या पंसारी की।

हजार रुपए तो पूजा की थाली में जलते कपूर की तरह तुरंत ‘काफूर’ हो जाते हैं। पांच और दस हजार का नोट लाकर सरकार यह भी संदेश दे रही है कि देशवासियो आने वाले कष्टप्रद दिनों की महंगाई के लिए अभी से कमर कस लो। पांच और दस हजार के नोट ‘भ्रष्टाचारियों’ के लिए भी बहुत सहायक होंगे जिन्हें करोड़ों की रिश्वत लेने के लिए घर में करेन्सी गिनने की मशीन लगानी पड़ती है। चलिए अगर जिएंगे तो देखेंगे इन नोटों की ‘फस्ले-बहार।

हो सकता कि कभी हमारे जैसों की किस्मत मुस्कुराये और हम भी दस और पांच हजार के नोटों की माला पहन कर अपने पोते के ब्याह में घोड़ी के आगे ‘नागिन’ डांस करें। वैसे ख्यालों में यह नोट सुहावने लगते हैं पर कहीं ऐसा न हो कि कहीं पांच हजार के नोट के बदले सिर्फ पांच किलो उड़द की दाल मिले। मर गए हम तो बारह के भाव।
राही

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