उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के कुनबे में मचे पारिवारिक घमासान को भले ही थामने की बात कही जा रही है पर बसपा सुप्रीमो मायावती को इस घटनाक्रम के बाद लगता है उनको मुंह मांगी मुराद मिल गई है। मायावती को उम्मीद है कि उन्हें कम से कम बीस फीसदी मुस्लिम वोट जरूर मिलेंगे। समाजवादी पार्टी में विवाद के चलते मायावती को मौका मिल गया है कि वह मुसलमानों के बीच अपनी स्थिति मजबूत दिखा सकें और बसपा को भाजपा के सर्वश्रेष्ठ विकल्प के तौर पर प्रस्तुत कर सकें। गत विधानसभा चुनावों के परिणाम घोषित होने के बाद उन्होंने स्वीकार किया था कि 70 प्रतिशत मुस्लिम वोट सपा को मिलने की वजह से उन्हें नुकसान हुआ है।
माया को भरोसा है कि उन्हें 21 प्रतिशत दलित वोट हर हाल में मिलेंगे। साथ ही वे अल्पसंख्यक समुदाय से भी इतने ही प्रतिशत वोट की उम्मीद कर रही हैं। गौरतलब है कि 2007 और 2012 के विधानसभा चुनावों में बसपा व सपा दोनों को मात्र 30 फीसदी वोट से बहुमत हासिल हुआ था। मुस्लिम मतदाता पारंपरिक तौर से सपा के समर्थक रहा है पर 2012 के बाद प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की बढ़ती घटनाओं से मुसलमानों का इस पार्टी से मोहभंग हो गया लगता है।
इसका फायदा मायावती को मिलने की संभावना है। इससे वाकिफ मायावती मुस्लिमों को लुभाने का मौका नहीं छोड़ रहीं। सहारनपुर में हुई उनकी रैली से निष्कर्ष निकाला जाए तो मायावती अपने लक्ष्य में सफल होती दिख रही हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद भाजपा को दलित, पिछड़े व अल्पसंख्यकों के वोट बटोरने की दौड़ में अग्रिम माना जा रहा था। पर दलित और मुसलमानों पर हमलों के चलते मायावती को इन दोनों ही वर्ग को लुभाने का मौका मिल गया है।
प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी, इसकी चाबी दलित व अल्पसंख्यकों के हाथ में है। परिश्रमी छवि और कानून-व्यवस्था का बेहतर रिकॉर्ड रखने का दावा कर मायावती मुसलमानों को भी अपने पक्ष में रिझाने में कामयाब हो सकती हैं।