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झड़ते बाल

Published: Sep 01, 2015 10:48:00 pm

आपके सामने मंडराने वाले चमचे अहसास ही नहीं होने देते कि
आपके बाल साथ छोड़ चुके हैं और आप गंजे होते जा रहे हैं

Opinion news

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खबर में दम है। दम इसलिए कि लोग तेजी से गंजे होते जा रहे हैं। चलिए कइयों की तो उम्र उस स्तर तक पहुंच गई जहां सौ में से अस्सी-नब्बे फीसदी बाल उड़ने लगते हैं पर उनका क्या जिनके अभी दूध के दांत भी नहीं टूटे है और उनके पीछे भी “गंज” दिखलाई देने लगी है। अपना एक शिष्य जो मायानगरी में जा फिल्मों में भाग्य आजमाना चाहता था, सिर्फ इसलिए मुम्बई नहीं जा पाया कि उसके बाल जल्दी उड़ गए। बालों के डॉक्टर बताते हैं कि एक इंसान की जिन्दगी में तीन चरण आते हैं। पहला जिनमें बाल बढ़ते हैं इसे ग्रोइंग स्टेज कहते हैं।

दूसरा चरण जिसमें बाल का बढ़ना तो रूक जाता है पर गिरते नहीं हैं और तीसरी होती है शेडिंग स्टेज यानी जिसमें बाल झड़ने लगते हैं और सिर गंजा होने लगता है। पता नहीं क्यों ऎसा लगता है कि बालों और राजनीति में बड़ा गहरा सम्बन्ध है। एक नेता की लोकप्रियता का भी यही आलम होता है। सबसे पहले उसके समर्थकों की संख्या निरन्तर बढ़ती है क्योंकि वह जनता से तरह-तरह के वादे करता है। उन्हें सब्जबाग दिखाता है। ऎसी-ऎसी बातें करता है जो जनता के दिल को छू जाती है पर जैसे ही राजकाज उसके हाथ में आता है उसके पांव यथार्थ की जमीन से टकराते हैं तो उसे पता चलता है कि सपने दिखाने और जमीनी हकीकत में दिन-रात का फर्क है।

ऎसे में जबकि वह साहसिक फैसले नहीं ले पाता तो उसकी लोकप्रियता स्थिर तो हो जाती है पर बढ़ना रूक जाता है। और तीसरी स्टेज आती है जब धीरे-धीरे बालों का उड़ना शुरू हो जाता है। पहले कंघी में एक-दो बाल आते हैं। उस स्थिति में नेता ज्यादा फिक्र नहीं करता पर धीरे-धीरे गुच्छे के गुच्छे झड़ने लगते हैं इस वक्त एक विचित्र स्थिति होती है जो बहुतों के संग हुई। कई लोगों के पहले आगे के बाल झड़ते हैं और धीरे-धीरे उनका ललाट बढ़ता जाता है।

अब उन्हें मुंह धोने के लिए सिर तक हाथ फेरना पड़ता है। लेकिन कई लोगों के आगे के बाल तो सलामत रहते हैं पर पीछे के झड़ जाते हैं और पीछे “चांद” निकल आता है। ऎसे में आगे बाल होने से जब आदमी आईना देखता है तो सोचता है अरे वाह मेरे तो बाल हैं पर उसे असली गंज दिखलाई नहीं देती।

राजनीति में तो यह आम बात है। हमेशा आपके सामने मंडराने वाले चमचे आपको अहसास ही नहीं होने देते कि आपके ज्यादातर बाल साथ छोड़ चुके हैं और आप गंजे होते जा रहे हैं या गंजे हो चुके हैं। अब आप इस केश रूपक को बारीकी से समझ लीजिए। आप अपने-अपने ढंग से अंदाज लगाने को स्वतंत्र हैं कि हम किसकी बात कर रहे हैं। सीधे-सीधे नाम ले लिया तो हमारे कुछ मित्र खामखां नाराज हो जाएंगे और हम पर बरस पड़ेंगे। और हम नहीं चाहते कि हमारी चांद पर ओले पड़ें। सोचने की स्वतंत्रता ही लोकतंत्र की खूबसूरती है।
राही
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