प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बुधवार को सबसे
महत्वाकांक्षी योजना “डिजीटल इंडिया” की शुरूआत कर दी। सूचना तकनीक को गांव-गांव तक
पहुंचाने के उद्देश्य से उठाया गया यह कदम वाकई नई सूचना क्रांति का सूत्रपात
करेगा। सबसे बड़ी क्रांति शिक्षा के क्षेत्र में आएगी।
छात्र किसी भी
बोर्ड, विश्वविद्यालय विषय की किताबें ना सिर्फ घर बैठे पढ़ पाएंगे बल्कि डाउन लोड
भी कर सकेंगे। इस अभियान में कार्पोरेट सेक्टर साढ़े चार लाख करोड़ रूपए का निवेश
करेगा। इस दौरान मौजूद तमाम बड़ी कार्पोरेट हस्तियों ने हाथों हाथ निवेश की घोषणा
भी कर दी। 18 लाख लोगों को इस योजना से नौकरी मिलेगी।
गांव-गांव
ब्रॉडबैंड से जुड़ जाएंगे। पूरा भारत इंटरनेट से कनेक्ट होगा, हर हाथ मोबाइल होगा
तो सरकार ई-गवनेंüस से मोबाइल गवनेंüस की ओर बढ़ेगी। मोदी सरकार की हाल में घोषित
पेंशन योजनाओं के बाद यह बड़ी योजना है जिसका लाभ सुदूर गांवों तक हर नागरिक को
मिलेगा।
जहां अभी अधिकांश लोगों को सूचना प्राप्त करने में महीनों लग
जाते थे वे अब उन्हें एक क्लिक में मिल जाएगी। विज्ञान में नए आविष्कार, खेती-बाड़ी
की नई तकनीक या शिक्षा में नए शोध और चिकित्सा के क्षेत्र में नए निदान तत्काल उसके
यूजर्स तक पहंुचेंगे। ज्यादातर कार्य डिजीटल होने से कागज की खपत घटेगी। हरियाली
बढ़ेगी।
कस्बों में कॉल सेंटर होंगे। कुल मिलाकर देश को विकसित देशों की
कतार में लाने का यह महत्ती प्रयास है। हालांकि डिजीटल युग में मोदी देश को ले तो
जा रहे हैं लेकिन इसके दुष्परिणामों को भी समझना होगा। कहीं ऎसा ना हो कि बड़े
औद्योगिक घरानों की होड़ नौजवान पीढ़ी को मोबाइल या इंटरनेट का गुलाम न बना दे।
निवेशक इसे मुनाफे का हथियार ना बना लें। मोबाइल टावरों की तरंगों के दुष्परिणाम हम
पहले ही भुगत रहे हंै। हमारी परम्पराएं और संस्कृति आधुनिकता की भेंट न चढ़
जाएं।
सरकार को इसके लिए समाज और नागरिकों को विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों
में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाना होगा। लोगों को बताना होगा कि दुनिया के विकसित समाज
की अच्छी चीजों को सूचना तकनीक से ग्रहण तो करें लेकिन इसे अपनी परम्परा को समृद्ध
करने में ही लगाएं।
ऎसा ना हो कि आधुनिकता की होड़ में हम ना शक्कर बन
पाएं और ना गुड़ रह पाएं। फिर भी युवा भारत को आगे बढ़ाने का केन्द्र सरकार का यह
प्रयास सराहनीय तो है ही। इस महत्वाकांक्षी योजना की सफलता की शुभकामनाएं।