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प्याज की फालर

Published: Sep 03, 2015 09:57:00 pm

सारे खाऊ-पीऊ लोगों के हिस्से एक-एक फालर भी नहीं आएगी।
कहीं प्याज आयात का ऑर्डर भी जुमला तो नहीं निकलेगा

Opinion news

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प्राचीन ग्रंथों में कंद-मूल-फल का तो जिक्र मिलता है लेकिन इनमें प्याज का जिक्र कहीं नहीं होता। जहां तक जानकारी है आलू, टमाटर और प्याज पुर्तगाली लोग अपने साथ लाए थे और देखते-देखते आलू तो सब्जियों का राजा कहलाने लगा। इसके बगैर भारतीय रसोई की कल्पना भी नहीं कर सकते। होटलों में भी आलू-मटर, आलू-गोबी, आलू-पालक, आलू-जीरा, आलू-टमाटर, आलू के परांठे सरीखी भांति-भांति की सब्जियां मिल जाती हैं। एक चुनावी नारा बहुत चला-जब तक समोसे में आलू रहेगा “लालू” तुम्हारा नाम रहेगा। वैसे भारतीय व्यंजन में आलू का बड़ा महत्व है।

इतना सब कुछ होते हुए भी राजनीति में “आलू” वह स्थान नहीं बना पाया जितना कि प्याज ने बनाया है। इसके भावों का सीधा असर राजनीति पर पड़ता है। कम से कम तीन चुनाव याद हैं जिनमें प्याज ने सत्ता की उठापटक में निर्णायक भूमिका निभाई। यह माना जाता है कि जो सरकार प्याज के दामों को काबू नहीं कर सकती वह निकम्मी है। जो आज “सत्ता” में हैं वे कभी विपक्ष में हुआ करते थे और तब उन्होंने जम कर प्याज पर राजनीति की। अब हालांकि चुनाव आस-पास नहीं है लेकिन प्याज मोदी सरकार के आंसू निकाल रहा हैं। प्याज के दाम बढ़ने पर गृहिणी की आंखें भर आती हैं। और असर देखिए। एक भाई ने राखी बंधवा कर अपनी बहन को दो कट्टा प्याज उपहार में दिए।

यह खबर पढ़कर लाखों गृहिणियों ने ठंडी आह भरी और सोचा कि काश उनका भाई भी उन्हें चांदी की पायल गिफ्ट करने की बजाय दस-बीस किलो प्याज ही ला देता। शहर की सब्जी मंडी में जिस दिन प्याज की बोरियों की चोरी हुई उसके बाद तो लोगों ने प्याज ताले में रखना शुरू कर दिया। एक मोहल्ले में तो प्याज रक्षा समिति तक बन गई जो रात को गश्त करने लगी जिससे कोई उनके प्याज लूट न ले जाए।

कसम से इन दिनों नींद का बेड़ा गर्क हो रहा है। एक दिन बिल्ली ने रसोई का दरवाजा खड़खड़ाया तो घरवाली चीखी- हाय मेरे प्याज। हल्ला होने पर मोहल्ले की महिलाएं भी जाग गई और सबने अपनी-अपनी रसोई में जाकर प्याज संभाले। आजकल वे प्याज की सब्जी ऎसे बनाती हैं जैसे अहसान कर रही हो। कल हमने कहा- भागवान! धैर्य धरो।

भारत सरकार ने पाकिस्तान से दस हजार टन प्याज मंगाने का ऑर्डर दे दिया है। उत्तर में उन्होंने कहा- दस हजार टन से क्या होना जाना है। सारे खाऊ-पीऊ लोगों के हिस्से एक-एक फालर भी नहीं आएगी। फिर बोली- कहीं ऎसा तो नहीं कि प्याज आयात का ऑर्डर भी काले धन की तरह जुमला तो नहीं निकलेगा। अब आप ही बताइए हम क्या जवाब दें। काटने की तो छोड़ो आजकल तो प्याज देखते ही हमारी आंख में आंसू टपक पड़ते हैं।
राही
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