मोदी सरकार को कश्मीर में शांति बहाली के साथ पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की रणनीति पर काम करना होगा
दक्षिण कश्मीर में आतंकी बुरहान वानी के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद से अशांति बनी हुई है। पत्थरबाजी और हिंसा में अनेक लोग मारे जा चुके हैं। सैकड़ों सुरक्षा कर्मी भी घायल हुए हैं। पाकिस्तान उकसाने की कार्रवाई कर रहा है। पहले उसने वानी को ‘शहीद’ का दर्जा दिया। सीमा पर संघर्षविराम का उल्लंघन कर इस मसले का अंतरराष्ट्रीयकरण करना चाहता है।
इसी मुहीम के तहत उसे 57 सदस्य देशों के संगठन, ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (ओआईसी) को कश्मीर मुद्दे पर दखल देने को तैयार करने में कुछ हद तक सफलता भी मिली है। ओआईसी महासचिव इयाद अमीन मदनी ने बयान में कहा कि कश्मीर में मानवाधिकारों का उल्लंघन भारत का आंतरिक मामला नहीं है।
इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ध्यान देना चाहिए। समस्या का राजनीतिक स्तर पर समाधान निकालना होगा। हालांकि इस संगठन का पाकिस्तान को समर्थन कोई नई बात नहीं है । जब से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बलूचिस्तान और गिलगिट के मुद्दे को छेड़ा और इन प्रांतों में पाकिस्तान का विरोध तेज हुआ, पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। भारत को उसकी कुत्सित मानसिकता को समझना होगा। घाटी में लगातार असंतोष व हिंसा से विकास ठप ही होगा। स्कूल-कॉलेज बंद होने, पर्यटन के पिटने से वहां के नागरिक आर्थिक रूप से टूट जाएंगे।
यही पाकिस्तान और वहां बसे आतंकी गुट भी चाहते हैं। मोदी सरकार को कश्मीर में शांति बहाली के प्रयासों के साथ पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने की रणनीति पर तेजी से काम करना होगा।