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क्रिकेट पिच पर राजनीति

Published: Nov 27, 2015 11:25:00 pm

भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर जब तनाव होता है तब उसका असर क्रिकेट
पर भी पड़ता है। दोनों ओर सीमाओं पर चौकसी बढ़ाने की बात होती है

Opinion news

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भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर जब तनाव होता है तब उसका असर क्रिकेट पर भी पड़ता है। दोनों ओर सीमाओं पर चौकसी बढ़ाने की बात होती है। कुछ समय बीतता है तब दोनों ही देशों की सियासतदानों को लगता है कि दोनों देशों के बीच क्रिकेट आपसी संबंधों के बीच की खाई पाटने का एक जरिया है तो फिर दोनों प्रतिस्पद्र्धा के आयोजन की बात भी करने लगते हैं। फिलहाल, दोनों देशों के बीच क्रिकेट प्रतिस्पद्र्धा के आयोजन श्रीलंका में होना तय सा लग रहा है। पाकिस्तान ने इसकी अनुमति दे दी है जबकि भारत की ओर हरी झंडी दिखाना बाकी है।इस मुद्दे पर जानिए विशेषज्ञों की राय…

क्रिकेट की जमीं पर एक से हैं हम

सलमान हैदर पूर्व विदेश सचिव
पाकिस्तान के साथ न खेलने की कोई हमारी जिद कभी नहीं रही है। हमारी कभी ऐसी कोई ख्वाहिश कभी नहीं रही है कि पाकिस्तान के साथ खेल न होने दें। बस कहीं मामला अटक सा गया था, जिसके दूर होने के आसार अभी दिख रहे हैं। हां, इसमें राजस्व का नुकसान तो जरूर हुआ है। लेकिन अब दोनों देशों के बीच क्रिकेट का खेल शुरू हो रहा है तो यह अच्छी बात है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए।

म मेरी मान्यता में भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में कुछ पेंच हो सकते हैं। आतंकवाद को लेकर समस्या कुछ समस्या है। आम जनता की तरफ से भी जबाव देने का दबाव रहता है। हमें यह तसल्ली होनी चाहिए कि हम इस मामले में आगे बढ़ रहे हैं। वर्तमान में जो सरकार केन्द्र है, वह ऐसे मसलों पर कड़ा रुख रखती है। लेकिन इन सब बातों के बीच क्रिकेट का मसला है।

मुकाबले का जोड़ नहीं
हम भारतीय लोग भी यह चाहते हैं कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट का खेल हो। दुनिया के सभी क्रिकेट खेलने वाले मुल्कों में भारत-पाकिस्तान के बीच के मुकाबला का कोई दूसरा मुकाबला और नहीं है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच भी मुकाबले में इतना आकर्षण नहीं बचा जितना अभी भी भारत-पाकिस्तान के बीच है। दोनों देशों के आम लोगों की दिली ख्वाहिश यह हमेशा से रहती है कि क्रिकेट प्रतिस्पद्र्धा का आयोजन लगातार होता रहे। भारत में पाकिस्तान के खिलाडिय़ों को और पाकिस्तान में भारतीय खिलाडिय़ों को आम दर्शकों ने अपना लिया है।

भारत और पाकिस्तान के बीच के संबंध विरोधाभासों से भरे हैं। एक ओर तो खूब तनातनी का माहौल है लेकिन जैसे ही क्रिकेट की बात सामने आती है तो दोनों ही देशों के लोग इसमें बहुत दिलचस्पी लेने लगते हैं। क्रिकेट के मामलों में दोनों ही देशों की ख्वाहिशें बहुत मिलती-जुलती है। ऐसे माहौल में दोनों ही देश के दर्शकों को क्रिकेट के आयोजन से महरूम रख पाना भी इतना आसान काम नहीं है। दोनों देशों के बीच क्रिकेट शुरू करने की बात शुरू हुई। पैसों को लेकर बातचीत जब बातचीत होने लगी। कुछ दिन पहले जब पैसा कितना आएगा, किसको कितना मुनाफा होगा जैसे मुद्दों पर विचार किया जाने लगा तब मुझे लग गया था कि अब दोनों देशों के बीच क्रिकेट शुरू होने ही वाला है। ऐसा मुझे इसलिए लगा क्योंकि हम सिद्धान्तों की बात नहीं कर रहे थे, पैसों की बात कर रहे थे। पैसा का सवाल इतना मुश्किल नहीं रहता है। सबसे बड़ी सिद्धान्त के स्तर पर ही आती है।

मुनाफा टीवी से आएगा
श्रीलंका में दोनों देशों के बीच क्रिकेट प्रतिस्पद्र्धा के आयोजन की खबर से आम लोग खुश होंगे। एक आशंका यह व्यक्त की जा रही है कि भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट के आयोजन की जगह तीसरे देश को चुनने से राजस्व का नुकसान होगा। इससे संभव है कि थोड़ा नुकसान हो सकता हो, लेकिन राजस्व का मसला टेलीविजन पर ज्यादा निर्भर है। दोनों देशों के बीच क्रिकेट कहीं भी हो, दोनों ओर के लोग दीवानगी की हद पर जाकर देखते हैं।

खेलने का फैसला ठीक नहीं

कीर्ति आजाद पूर्व क्रिकेटर एवं राजनेता
समझ में नहीं आता कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट खेलने के लिए किसने कहा था? भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड खुद को देश के कानून से ऊपर समझता है। उसे लगता है कि पहले बोर्ड है, उसके बाद देश का कानून। बोर्ड कहता है कि वह पहले है और बाद में भारतीय।

वे सिर कलम करें, हम क्रिकेट
हैरत की बात है कि 26/11 को जिस दिन हम पर आतंकी हमला हुआ उसी दिन हम पाकिस्तान के साथ खेलने की बात कर रहे हैं। वे हमारे जवानों के सिर कलम कर साथ ले जाएं, आतंकी हमलों की साजिश में बेगुनाहों को मार जाएं और हम उनके साथ क्रिकेट-क्रिकेट खेलने की बात करें, यह तो कोई खेल भावना नहीं हुई। आज ही अखबारों में पढ़ा कि इस्लामिक स्टेट (आईएस) पाकिस्तान से आतंकियों को कश्मीर पहुंचाने में मदद कर सकता है। तीस खूंखार आतंककारी भारत में प्रवेश कर आतंक फैलाना चाहते हैं। उस देश के जो अलग-अलग आतंकी संगठन हमारे यहां आतंक फैलाने में लगे हैं उनके साथ हम दोस्ती की बात कैसे कर सकते हैं?

सब जानते हैं कि पिछले पांच साल से पाकिस्तान के साथ क्रिकेट नहीं खेला गया। मुद्दा भी मुम्बई हमले से ही जुड़ा है। अब कौनसा शांतिकाल आ गया? बीसीसीआई दोनों देेशों के क्रिकेट बोर्डों के बीच समझौते की बात करता है। लेकिन कोई भी समझौता देश के जवानों की शहादत की कीमत पर नहीं होना चाहिए। बीसीसीआई खुद के कारनामों को देखे। मैच फिक्सिंग के जरिए गड़बड़ी होती रहीं और बोर्ड कहता रहा, कुछ नहीं हुआ। लोगों ने जनहित याचिकाएं लगाईं तो सुप्रीम कोर्ट को दखल देना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए लोढ़ा कमेटी बनाई है।

जनभावना का ख्याल नहीं
क्रिकेटर के तौर पर मैं यह जरूर कहना चाहूंगा कि इस मसले पर जनभावनाओं का ध्यान नहीं रखा जा रहा और बीसीसीआई मनमर्जी से तनावपूर्ण माहौल में पाक से क्रिकेट खेलना चाह रहा है। इसे क्रिकेट डिप्लोमेसी कहने वालों की कमी नहीं है। लेकिन दो देश क्रिकेट खेलते हैं तो इसमें कौनसी डिप्लोमेसी है? क्रिकेट में नया क्या हो गया? वहीं खेल है जो सालों से खेला जाता रहा है? कौनसा माहौल बदल गया?

मधुर संबध जरूरी
क्रिकेट मैैच हो या फिर दूसरे कोई खेल दो देशों के बीच मधुर संबंध होना ज्यादा जरूरी है। द.अफ्रिका का रंगभेद नीति के कारण दुनिया ने बायकाट किया था। 1980 के मास्को ओलम्पिक में वेस्टर्न ब्लाक नहीं आया था। ऐसे ही लांस एंजिल्स ओलम्पिक में रूस नहीं आया था। सबके अपने-अपने कारण थे। फिर आप श्रीलंका में मैच खेल कर दोनों देशो के क्रिकेट प्रेमियों के बीच किस तरह का जुड़ाव कर पाएंगे?

आईसीसी में तय हुई थी यह श्रृंखला

मनोज चतुर्वेदी वरिष्ठ खेल पत्रकार
भारत-पाकिस्तान के बीच श्रीलंका में क्रिकेट का आयोजन दिसम्बर में संभवत: होने जा रहा है। असल में आईसीसी की बैठक में यह तय हुआ था कि भारत-पाकिस्तान को पांच या छह श्रृंखलाएं खेलनी है। भारत को पाकिस्तान में और पाकिस्तान को भारत और में जाकर खेलनी थी। भारत और पाकिस्तान दोनों ने ही इसकी रजामंदी दे दी थी। दिसम्बर में होने वाली श्रृंखला भी उसी रजामंदी का हिस्सा है। इस तयशुदा कार्यक्रम के अनुसार पहले भारत को पाकिस्तान में जाकर खेलना था। पाकिस्तान ने अपने यहां के हालात को देखते हुए भारत को अपने यहां खेलने के लिए बुलाया ही नहीं। पाकिस्तान ने भारत से यूएई में खेलने का आग्रह किया था।

भारत के संबंध यूएई से कुछ सालों से बहुत अच्छे नहीं रहे हैं इसलिए भारत ने मना कर दिया। हालांकि भारत ने यूएई में कुछ आईपीएल के मैच का आयोजन कराया था। भारत में कुछ एक-दो जगहों को छोड़ दिया जाए तो बाकी जगहों पर भारत-पाक श्रृंखला का आयोजन किया जा सकता था, लेकिन पाकिस्तान खेलने के लिए भारत आने को राजी नहीं हुआ। इन सबके बीच एक अच्छी खबर यह है कि पाकिस्तान ने श्रीलंका में आगामी श्रृंखला के लिए अपनी रजामंदी दे दी है। हालांकि अभी भारत की ओर से रजामंदी मिलनी बाकी है।

चलता रहे खेल
दोनों देशों के बीच में बहुत तरह की समस्याएं है। सीमा को लेकर, आतंकवाद को प्रश्रय देने आदि को लेकर अक्सर दोनों देशों के बीच तनातनी का माहौल पैदा हो जाता है। इसका असर दोनों देशों के बीच अत्यंत रोमांचकारी क्रिकेट प्रतिस्पद्र्धा के आयोजन पर पड़ता है। मेरी मान्यता यह है कि दोनों देश के बीच की समस्यायों को दूर करने की तरकीब निकल पाए तो इससे अच्छी बात कोई और नहीं है लेकिन इन बातों के हल होने तक क्रिकेट के खेल के आयोजन को बंद और शुरू करने का खेल नहीं होना चाहिए। दोनों देशों की आंच क्रिकेट पर अक्सर पड़ती हुई दिखती है। निश्चित तौर पर क्रिकेट को सियासत से बचाने की कोशिश होनी चाहिए।

पाक को होता फायदा
दोनों के बीच क्रिकेट के आयोजन में बाधा से राजस्व का नुकसान बहुत ज्यादा होता है। भारत की तुलना में पाकिस्तान को इसका खामियाजा ज्यादा भुगतना पड़ता है। पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड इस समय बहुत तंगहाल है। बोर्ड कंगाली की कगार पर पहुंच चुका है। ऐसा हश्र इसलिए हो गया क्योंकि कुछ साल पहले श्रीलंकाई टीम पाकिस्तान खेलने गई थी और वहां उनकी बस पर हमला हो गया था, उसके बाद वहां लंबे अर्से से कोई खेलने ही नहीं गया है। कुछ समय पहले पाकिस्तान में जिम्बावे खेलने को पहुंचा था लेकिन जिम्बावे को लेकर दर्शकों में बहुत कम रोमांच रहता है। भारत-पाक श्रृंखला को लेकर बीसीसीआई पहले से राजी है अब भारत सरकार की सहमति का इंतजार है कि वह श्रीलंका में होने वाली श्रृंखला को हरी झंडी दिखाए। इस श्रृंखला को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है। एक हिस्सा श्रीलंका में होगा और दूसरा हिस्सा इंग्लैंड में आयोजित होना है। दोनों देशों के बीच कार्यक्रम की रुपरेखा के बारे में फैसला आना बाकी है।
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