बाल सखा
रामू सुबह-सुबह आ धमका। उसने झंझोड़ कर उठा दिया। हमने झुंझला कर कहा- तुझे चैन
नहीं। भले आदमी सपना तो पूरा हो जाने देता। वह बोला- सपना छोड़ो। फटाफट तैयार हो
जाओ। तुम्हें ऎसी जगह ले चलूंगा जहां आदमी सब कुछ भूल जाता है। उसकी आत्मा को असीम
शांति मिलती है।
हमने कहा- रामू! ईश्वर की कृपा से हमारी आत्मा एकदम शांत रहती है।
सुबह से सांझ तक बैल की तरह जुते रहते हैं। शाम को दोस्तों के संग गप मारते हैं।
आजकल रात को पाकिस्तानी सीरियल देखते हैं और सो जाते हैं। पाकिस्तान टीवी सीरियल के
मामले में ही हमसे बीस है। उसने कहा- ठीक है लेकिन जिस जगह मैं तुम्हें ले जाऊंगा
वह कमाल की जगह है। एक बाबा अमरीका रिटर्न है। वे भजनभाव से दो घंटे में ही आत्म
साक्षात्कार करा देते हैं।
हमें लगता है आजकल अमरीका जाना जरूरी हो गया है। अपने
मोदी अमरीका गए तो राहुल भी चले गए। रामू ने हमारी बात काट कर कहा- नो पॉलिटिक्स।
सिर्फ आत्म शांति। उसका इसरार हम टाल नहीं सके और फटाफट तैयार हो आत्मा शांति
केन्द्र पहुंच गए। वहां कारों की भीड़ लगी थी।
एक से एक चमचमाती गाडियां, उनमें से
उतरते श्वेत वस्त्रधारी बड़ी-बड़ी तोंद वाले पुरूष और लहराती साडियों में नारियां।
रामू ने काउन्टर पर जाकर दो टिकट लिए। हमने आश्चर्य से पूछा- टिकट से प्रवेश है।
राधे ने कहां- हां। दो हजार का एक टिकट है। टिकट की दर सुनते ही हमारी आत्मा तो
नहीं पर हाथ-पैर एकदम ठंडे हो गए। खैर भीतर पहुंचे। बड़े हॉल में चारों तरफ श्वेत
पर्दे लगे थे।
सामने ऊंचे मंच पर श्वेत वस्त्रधारी बड़ी-बड़ी दाढ़ी वाला पुरूष्ा
संगीत की लय पर झूम रहा था। उसके साथ सब लोग झूमने लगे। हम झूम तो रहे थे लेकिन
आत्मा की शांति जैसा कुछ नहीं हुआ। थोड़ी देर में संगीत की स्वर लहरियां तेज हुई।
अब तो स्त्री-पुरूष सब ऎसे कूदने लगे जैसे हिस्टीरिया का दौरा पड़ा हो। हमने भी
कूदने की कोशिश की तभी एक भद्र महिला का भारी पैर हमारे पैर पर आ पड़ा। हम दर्द से
कराहते हुए कोने में खड़े हो गए।
दो घंटे बाद तमाशा खत्म हुआ। रामू प्रसन्न था।
बाहर आकर उसने कहा- देखा कैसी शांति मिली। हमने कहा-हमें तो नहीं मिली। बार-बार यही
ख्याल आता रहा कि दो हजार रूपए तू हमको दे देता तो कसम से 13 किलो दाल ले आते। लगता
है तेरी आत्मा की शांति हमारे डायलॉग से गायब हो गई। और सुन तू सांझ को मिलना कसम
से दो सौ रूपए में तुझे चार घंटे के लिए आत्मा की शांति मुहैया न करा दें तो हम से
कहना। यह सुनते ही रामू के चेहरे पर शांति एक बार फिर उतर आई।
राही