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क्षेत्रवाद अक्षम्य

Published: May 17, 2015 09:46:00 pm

उन्हें मामले को सुलझाने के प्रयास करने
चाहिए थे न कि पूर्वोत्तर से जोड़कर और उलझाने के। उन्हें यह कैसे लगा क्योंकि
गैमलिन पूर्वोत्तर की हैं

Kiran Rijiju

Kiran Rijiju

परिवार में विवाद हो तो मुखिया से उसका हल खोजने की उम्मीद की जाती है। अपेक्षा यह रहती है कि वह सबको समझाकर कोई न कोई रास्ता निकाल लेगा लेकिन घर का मुखिया ही आग में घी डालने लग जाए तो समाधान की उम्मीद भला किससे की जाए? दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच प्रशासनिक एवं संवैधानिक मुद्दों को लेकर चल रहे टकराव में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू का बयान चौंकाने वाला है।

दिल्ली की कार्यकारी मुख्य सचिव शकुंतला गैमलिन की नियुक्ति को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच टकराव को अधिकारों की लड़ाई के रूप में देखा जा सकता है। उपराज्यपाल केन्द्र सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हैं और दिल्ली में सरकार के गठन के बाद से ही किसी न किसी मुद्दे पर सरकार के साथ उनकी खींचतान चल रही है।

कार्यकारी मुख्य सचिव की नियुक्ति के बाद इस खींचतान का बढ़ना चिंताजनक है। ऎसे में केन्द्र से उम्मीद की जा रही थी कि वह कोई समाधान निकालेगी। समाधान निकालना तो दूर लगता है केन्द्र सरकार इस मुद्दे को तूल देकर मामले को और बिगाड़ना चाहती है। केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजीजू ने विवाद को गैमलिन के पूर्वोत्तर का होने से जोड़कर नया रंग दे डाला है। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच विवाद का पुराना नाता रहा है।

चुनी हुई सरकार अपने तरीके से काम करना चाहती है और उपराज्यपाल अपने तरीके से लेकिन गैमलिन की नियुक्ति विवाद ने व्यक्तिगत टकराहट का ऎसा मोर्चा खोला है जो संवैधानिक ढांचे को नुकसान पहुंचा सकता है। रिजीजू केन्द्र सरकार में मंत्री पद संभाल रहे हैं लिहाजा उन्हें मामले को सुलझाने के प्रयास करने चाहिए थे न कि पूर्वोत्तर से जोड़कर और उलझाने के। उन्हें यह कैसे लगा कि दिल्ली सरकार गैमलिन को इसलिए नहीं चाहती क्योंकि वे पूर्वोत्तर की हैं।

क्या उनके बयान से दिल्ली में रहने वाले पूर्वोत्तर के लोगों की समस्याएं नहीं बढ़ेंगी? हर विवाद से राजनीतिक फायदा उठाना जरूरी तो नहीं? रिजीजू के बयान पर केन्द्र के वरिष्ठ मंत्री को सफाई देनी चाहिए और ऎसी व्यवस्था करनी चाहिए ताकि ऎसे विवादों में क्षेत्रवाद का रंग नहीं दिया जा सके।

बात दिल्ली की ही नहीं, अनेक राज्यों में चुनी हुई सरकारों और राज्यपालों के बीच टकराव के हालात देखने को मिलते हैं। दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को भारी बहुमत से चुनकर भेजा है, काम करने के लिए। आप और उपराज्यपाल को समस्याओं का हल मिल-बैठकर निकालना चाहिए न कि हर मुद्दे को मीडिया के जरिए उछालकर और उलझा देना चाहिए।

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