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बढ़ती आस, बदलती आस्थाएं

Published: Oct 07, 2015 10:28:00 pm

पिछले एक – दो दशक में मानवीय संवेदनाओं और
व्यवहार में जबरदस्त बदलाव देखा जा रहा है ।

Materialism

Materialism

पिछले एक – दो दशक में मानवीय संवेदनाओं और व्यवहार में जबरदस्त बदलाव देखा जा रहा है । स्वाभिमानी, सांस्कृतिक और नैतिक मूल्यों पर आधारित व्यवस्था पर भौतिकतावाद हावी होता जा रहा है । जहां वैश्विीकरण ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में अद्भुत भूमिका निभाई है वहीं लोगों ने अपने स्वास्थ्य, मन की शांति और खुशी की बड़ी कीमत भी चुकाई है। इसका प्रमाण खराब जीवनशैली की वजह से तेजी से बढ़ रही तरह तरह की बीमारियों में देखा जा सकता है ।


व्यवहार में आता परिवर्तन


भारत, दुनिया के सबसे भ्रष्ट और मानसिक अशांति से त्रस्त देशों की सूची में ऊपर चढ़ता दिखाई दे रहा है । परिवर्तन के इस दौर में अजीब सा बदलाव देखा जा रहा है । आज ईश भक्त भी शेयर बाजार के कारोबारियों की तरह अपने मतलब और लाभ के लिये अलग अलग देवी देवताओं के भाव चढ़ा देते हैं ।


अधिक से अधिक लाभ की चाह में कभी किसी देवी -देवता को अधिक पूजनीय माना जाने लगता है तो कभी कोई अन्य लोकप्रिय हो जाता है । क्या एल्विन टोफ्फलर की पुस्तक – फ्युचर शॉक में लिखी उनकी भविष्यवाणी सच होने लगी है?

नियंत्रित अर्थव्यवस्था से मुक्त व्यापार व्यवस्था की ओर बढ़ रहे परिवर्तन के इस दौर के बारे में उन्होंने लिखा था कि स्थायित्व की मौत, भरोसे की मौत और नौकरशाही के खात्मे के रूप में हम धीरे धीरे मानवीय और सामाजिक व्यवहार में बदलाव देखेंगे। उनकी ये सोच आज उम्मीद से कहीं ज्यादा व्यापक रूप में तेजी से सच प्रतीत हो रही है ।

बदल रहे युवाओं के आदर्श


विज्ञान, मानव के समान रोबोट या क्लोन बनाने के कगार पर है, साथ ही स्टेम सेल तकनीक और आनुवांशिकी अनुसंधान में हो रही प्रगति से चमत्कारिक उपचार भौतिकवादी मानसिकता का प्रदूषण की खोज की संभावना बढ़ रही है और इसकी साथ ईश्वर के कार्यक्षेत्र में दखल देने के प्रयास हो रहे हैं ।

वहीं इसके विरोधाभास में पृथ्वी के बढ़ते तापमान की वजह से रेगिस्तान में ओले गिर रहे हैं तो कहीं शीतोष्ण कटिबंध इलाकों में तापमान बढ़ रहा है । जहां, भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक सुपर पावर बनने के लिये एक दूसरे से टक्कर कर रही हैं, वहीं अमरीका गंभीर मंदी के दौर से जूझ रहा है। आज समाज में एक नये तरह का वायरस – भौतिकतावादी मानसिकता लोगों के दिमाग को प्रदूषित कर रहा है ।


लोभ, व्यापार का आवश्यक हिस्सा बन चुका है । महात्मा गांधी , जवाहर लाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेताओं की जगह आज बच्चन , खान और मल्लिका सहरावत ने ले ली है । वे युवाओं के आदर्श बन गये हैं ।

धर्म भी अछूता नहीं


दिलचस्प और उल्लेखनीय ढंग से परिवर्तन की इस लहर से भारत जैसे देश में धर्म भी अछूता नहीं रहा है । भारत में देवी देवता का इस्तेमाल जिस तरह से मंदिर उद्योग के रूप में लिया जा रहा है उसके परिप्रेक्ष्य में टोफ्फलर का सिद्धान्त सटीक प्रतीत होता है ।

एक मजेदार तथ्य ये भी है कि कुछ दशक पहले राम- कृष्ण और दुर्गा मां के असंख्य भक्त हुआ करते थे लेकिन अब उनकी जगह गणेश, हनुमान और शनिदेव ने ले ली है । आज के इस भौतिकतावादी संसार में, सभी तरह की सुख सुविधा और समृद्धि की चाह रखने वाले भक्तों के लिए भगवान गणेश निश्चित रूप से सर्वप्रिय देवता हैं ।


साथ ही लोगों को शक्तिशाली और शूरवीर मित्र की तलाश रहती है ऎसे में हनुमान जी से बेहतर और कौन हो सकता है जो भक्तों के नैतिक और अनैतिक रास्तों से अर्जित सम्पत्ति की रक्षा कर सके। जब इन दोनों समस्याओं का समाधान हो जाता है तब भक्तों को देश के इंस्पेक्टर राज का भय सताता है तब याद आते हैं शनिदेव सबसे ज्यादा भयभीत करने वाले, पूजा अर्चना करके उन्हें भी शांत और प्रसन्न रखना जरूरी है इसलिये प्रत्येक शनिवार को शनि मंदिरों के बाहर तेल चढ़ाने वाले भक्तजनों की लम्बी कतारें दिखाई देती हैं।

विफलताओं का बोझ


आस्थाओं की परिवर्तन लहर का इतिहास भारतीय में पीढियों से जुड़ा हुआ है । सबसे उन्नत नालन्दा काल था, फिर मुगलों और अंग्रेजों के दमनकारी युग में खुद को बचाने के लिए हमने कायरता और दोगलेपन का लिबास ओढ़ लिया । महात्मा गांधी के दौर में और आजादी मिलने के तुरंत बाद लोगों में उत्साह और जोश के साथ आशा की एक किरण भी थी । लेकिन दुर्भाग्यवश ये आशावादी समय कुछ साल तक ही सीमित रहा ।


एक के बाद एक सरकारी तंत्र की विफलताओं ने लोगों को भारी बोझ तले दबा दिया। बुरी तरह से प्रदूषित पर्यावरण , गुंडाराज , अराजकता और न्याय के लिये जूझते लोग आज पौराणिक कथाओं और देवी देवाताओं की शरण में शांति की तलाश कर रहे हैं और अपनी श्रद्धा के अनुरूप भगवान का चयन कर रहे हैं ।

दिलचस्प बात तो ये है कि ये भारत जैसे देश में हो रहा है जहाँ चमत्कार को प्रणाम है और लोग हर दिन एक नये चमत्कार की उम्मीद रखते हैं । भगवान भारतीयों और भारत की रक्षा करे ।

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