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भ्रष्ट तंत्र पर प्रहार

Published: Apr 29, 2016 10:16:00 pm

आदर्श हाउसिंग सोसायटी का प्रकरण एक मिसाल हो सकता है। पूरे देश में
इसके आधार पर कार्रवाई चलाई जाए और भ्रष्टाचार के जरिए बिना इजाजत बनी
हजारों इमारतों पर कार्रवाई हो। साथ ही जिम्मेदारों को बेनकाब कर सजा
दिलवाई जाए

Opinion news

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मुंबई में भ्रष्टाचार और घोटाले की नींव पर खड़ी आदर्श हाउसिंग सोसायटी की 31 मंजिला इमारत जमींदोज करने का आदेश शुक्रवार को मुंबई हाईकोर्ट ने दिया। रक्षा क्षेत्र की इस जमीन पर सैन्य अधिकारियों, शौर्य सम्मान प्राप्त सैनिकों और सैन्य विधवाओं के लिए आवास बनने थे। लेकिन राजनेताओं, मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारियों ने सत्ता का दुरुपयोग कर यहां अट्टालिका खड़ी कर ली। इसमें बने फ्लैट स्वयं के, रिश्तेदारों के और बेनामी सौदों के जरिए अपनों के नाम अलॉट करवा लिए। नौसेना क्षेत्र की अनापत्ति और सरकारी अनुमति भी नहीं ली गई।

2011 में पर्यावरण मंत्रालय ने इमारत गिराने के आदेश दिए। जांच के दायरे में तीन मुख्यमंत्री भी रहे। अशोक चौहान को तो मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा भी देना पड़ा। न्यायालय ने इमारत गिराने का खर्चा सोसायटी से वसूलने का भी फैसला दिया। साथ ही घोटाले में शामिल राजनेताओं, मंत्रियों और अधिकारियों के लिए दीवानी और फौजदारी मुकदमे चलाने को भी कहा। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में अपील के लिए 12 सप्ताह का समय भी दिया।

घोटाले और सत्ता का दुरुपयोग कर सरकारी जमीन हथियाने या खुर्दबुर्द करने का यह कोई पहला मामला नहीं है। देश में कहीं भी चले जाइए। ऐसे उदाहरण मिल जाएंगे। लेकिन फलते-फूलते। न्यायालय की सतर्कता से कुछ एक ही ऐसे उदाहरण हैं जबकि बेईमानी के खंभों पर खड़ी इमारतों को जमींदोज किया गया।

जयपुर और इंदौर में बारूद का उपयोग कर भ्रष्टाचार के गढ़ ढहाए गए। लेकिन इनकी संख्या शून्य दशमलव एक से भी कम होगी। जयपुर में तो लोकायुक्त 78 इमारतों पर कार्रवाई के निर्देश दे चुके। क्या हुआ? सिस्टम की कमियां ही भ्रष्ट तंत्र को आगे बढ़ने की हिम्मत देती हैं। किसी गड़बड़ी की शिकायत के बावजूद नियमों में इतनी खामियां हैं कि जब तक निगम, न्यायालय, ट्रिब्यूनल, सरकार के पास होते-होते फाइल किसी निर्णय पर पहुंचती है, तब तक अवैध निर्माण आबाद ही नहीं हो जाता बल्कि किसी सिस्टम से स्टे का हथियार भी हासिल कर चुका होता है।

आदर्श हाउसिंग सोसायटी का प्रकरण एक मिसाल हो सकता है। पूरे देश में इसके आधार पर कार्रवाई चलाई जाए और भ्रष्टाचार के जरिए बिना इजाजत बनी हजारों इमारतों पर कार्रवाई हो। साथ ही जिम्मेदार नेता, मंत्री और प्रशासनिक अधिकारियों को बेनकाब कर सजा दिलवाई जा सके। गरीब जनता के हक को अपना अधिकार समझने वाले जब तक जेलों में नहीं होंगे, तब तक ना तो नगर नियोजन के नियमों का पालन हो पाएगा और ना ही राजनीति और भ्रष्टाचार का नापाक गठबंधन टूट पाएगा। हां, न्यायालय को इसके लिए ऐसी ही सक्रियता जरूर दिखानी होगी।

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