सबसे पहले तो मैं भारतीय सेना को बधाई देता हूं कि उन्होंने बड़ी सूझबूझ के साथ सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में ऐसी स्ट्राइक की अरसे से जरूरत थी। उरी हमले का जवाब देने के लिए सैन्य कार्रवाई होनी ही थी। हमने पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों पर हमला नहीं किया बल्कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी कैंपों को ही निशाना बनाया है। इसलिए यह ‘एक्ट ऑफ वॉर’ नहीं कहा जाना चाहिए। हमने न तो पाकिस्तान की सेना पर हमला किया है, न ही उनके नागरिकों पर सीधा निशाना बनाया है। हालांकि अभी हमें पाकिस्तानी प्रतिक्रिया के खिलाफ चौकन्ना रहना होगा और हमारी सेना ने पहले से ही सारे जरूरी कदम उठा लिए होंगे।
इस वक्त घरेलू मोर्चे पर भी हमारी कामयाबी यह है कि राजनीतिक, कूटनीतिक और सैन्य रूप से हम एकजुट हैं। पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को एक सिग्नल देना जरूरी था कि भारत सीमापार से ऐसे हमले नहीं सहते रहेगा। हमने पाकिस्तानी सीमा में घुसकर हमला नहीं किया है बल्कि पीओके हमारी ही सीमा है, जिस पर पाकिस्तान ने कब्जा किया हुआ है। इसलिए यह नहीं कहा जाना चाहिए हम पाकिस्तान में घुसे हैं।
हमारी सेना ऐसी स्ट्राइक की तैयारी करती रहती है। सेना में ऐसे स्पेशल कमांडो के दस्ते होते हैं, जिन्हें ऐसी स्ट्राइक में महारथ होती है। वे कठिन परिस्थितियां पैदा होने पर सरकार की मंजूरी मिलते ही सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दे देते हैं। अब इस हमले को कैसे अंजाम दिया गया, इसकी तीव्रता क्या थी, इसे सार्वजनिक नहीं किया जाता। लेकिन मोटे तौर पर बताया जा रहा है कि भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 03 जगहों पर 04 घंटे तक चली स्ट्राइक में आतंकवादियों के 07 लॉन्च पैड्स को ध्वस्त किया गया।
यह स्पष्ट है कि भारतीय सेना ने इस स्ट्राइक से आतंकी ठिकानों को अच्छा खासा नुकसान पहुंचाया है। भारत के राजनीतिक नेतृत्व की सराहना करनी चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मजबूती के साथ खड़े रहे। अब हम आगे भी ऐसी स्ट्राइक को अंजाम दे सकते हैं। पाकिस्तानी सेना भी चौकन्नी होगी। वह अपनी रणनीति जरूर बदलेगी। पर जब भी हमारे पास इंटेलीजेंस हो तो हमें फौरन हमला करना चाहिए।
हमारी सेना को उन्हें पीओके में भी तबाह कर देना चाहिए। भारत में घुसने की नौबत ही नहीं आनी चाहिए। पाकिस्तान भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक से इनकार कर रहा है और करता रहेगा। यह अपेक्षित भी है। उसने इसे सीमापार से भारत द्वारा की जा रही फायरिंग का हवाला दिया है। पाकिस्तान ऐसा मुल्क है, जिसने कारगिल में खुद के मरे हुए सैनिकों के शव लेने से इनकार कर दिया था। पाकिस्तान चूंकि आतंकवाद की फैक्ट्री चलाने को लेकर दुनियाभर में बदनाम हो चुका है। उसे आतंकी देश घोषित करने की मुहिम जोर पकड़ रही है।
अब भारत के हमले के बाद उनकी सेना आतंकी हमले और तेज करने की कोशिश करेगी। उन्हें भी मालूम है कि सीधी लड़ाई का परिणाम क्या होता है। एक बात बहुत स्पष्ट है, इस हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समर्थन हमारे पक्ष में ही रहेगा। कश्मीर में बर्फ पडऩे से पहले पाकिस्तानी सेना आतंकवादियों की घुसपैठ ज्यादा से ज्यादा कराने की कोशिश करती है। हर साल ऐसा होता रहा है। अब सितंबर महीने में ही हमने आतंकवादियों को बड़ा नुकसान पहुंचा दिया है। अगले 36-48 घंटे काफी महत्वपूर्ण होंगे। हमें पाकिस्तानी प्रतिक्रिया का इंतजार करना होगा। उसी हिसाब से सेना इधर से जवाब देगी। सीमाओं पर चौकसी बढ़ा दी गई है। पश्चिमी सीमा पर सैन्य सुरक्षा बल ने चौकसी बढ़ा दी है।
‘कोस्टल लाइन’ पर भी चौकसी और तैनाती बढ़ाने की जरूरत है। पाकिस्तान बार-बार परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी देता रहा है। उनके विदेश मंत्री ने भी इस सिलसिले में बयान दिया है। लेकिन उसे मालूम है कि अगर उन्होंने परमाणु हथियार का इस्तेमाल किया तो भारत के जवाब में पाकिस्तान तबाह ही हो जाएगा। हमारी रणनीति अभी यह रहनी चाहिए कि जहां से भी हमला हो, उसी क्षेत्र में करारा सैन्य जवाब दिया जाए।
पहली बार चार सार्क देशों ने भारत के साथ पाकिस्तान में सम्मेलन का बायकॉट किया है। ऐसा कदम बहुत अपेक्षित था। हमने विदेश नीति के जरिए काफी कुशाग्रता के साथ पाकिस्तान को अलग-थलग करने का कार्य किया है। संयुक्त राष्ट्र आमसभा में पाकिस्तान पर दबाव बनाया गया। अमरीका ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। इस हमले के बारे में भी विदेश मंत्रालय ने कई देशों को अवगत करा दिया है और वे भारत के साथ खड़े हैं।
दरअसल, अभी तक हम पाकिस्तान को हमलों के सबूत ही दिए जा रहे थे लेकिन पहली बार सीधा हमला करके कड़ा जवाब दिया है। पाकिस्तान के लिए यह आश्चर्य से कम नहीं है। यह भारत का एक सीमित जवाब है। लेकिन इसे युद्ध की दिशा में बढऩे के तौर पर नहीं देखना चाहिए। अभी सेना को सर्जिकल स्ट्राइक तक ही सीमित रहना चाहिए।
Home / Prime / Opinion / यह हमला तो अभी शुरुआत है… (जयप्रकाश नेहरा)