scriptसत्ता युद्ध का मजा | The fun of the war power | Patrika News

सत्ता युद्ध का मजा

Published: Oct 24, 2016 10:41:00 pm

बेचारे मुलायम। फंस गए। हमारी समझ से महाभारत काल के बाद ‘यादव वंश’ में इतनी बड़ी जूत्तमपैजार अभी देखने सुनने को मिली है

Mulayam Singh Yadav

Mulayam Singh Yadav

व्यंग्य राही की कलम से
कसम से पहले तो हम यही सोचा करते थे कि वह आदमी बड़ा किस्मत वाला है जिसके दो-दो बीवियां हैं। उसकी साजसंवार, हिफाजत, रखरखाव, झाडफ़ंूक करने के लिए दो नहीं वरन चार-चार हाथ हैं। लेकिन पिछले चार दिन से नेताजी का हाल देख कर हम मन ही मन राजी हो रहे हैं कि हे रामजी! तू बड़ा ही कारसाज है।

तेरी कृपा से हम एक ही रानी के सेवक हैं। बेचारे मुलायम। फंस गए। हमारी समझ से महाभारत काल के बाद ‘यादव वंश’ में इतनी बड़ी जूत्तमपैजार अभी देखने सुनने को मिली है। वैसे मुलायम सिंह उर्फ नेताजी की तारीफ करनी पड़ेगी कि उन्होंने भारतीय राजनीति के परमावश्यक ‘वृक्ष’ अर्थात् भाई-भतीजावाद को लोटा-लोटा पानी से नहीं वरन बाल्टी भर-भर के सींचा है। उन्होंने स्वयं की औलादों को ही नहीं वरन अपने भाई, भतीजों, भतीज बहुओं, अपने चाचा-ताऊओं के लड़कों उनकी लुगाइयों, बेटियों सभी को भरपूर राजनीतिक लाभ दिलवाया है।

राजनीतिक कुलाबांदरी खाने में भी नेताजी कम उस्ताद नहीं रहे। उन्होंने जिससे लाभ मिला उसके साथ गठबंधन किया। प्रखर समाजवादी राममनोहर लोहिया के विचारों का मुखौटा लगा कर राजनीति से जितना लाभ मुलायम सिंह ने उठाया है, ऐसा उदाहरण भारतीय राजनीति में दूसरा ढूंढना बड़ा ही मुश्किल है। लेकिन अब लगता है वे अपनी बोयी परिवारवादी फसल काटने को मजबूर हैं।

 मुलायम सिंह ने इस पारिवारिक कलह के दौरान एक हाहाकारी वाक्य कहा है जो कि उन नेताओं के लिए भी एक सबक है जो राजनीति में आंख मींच कर अपनी औलाद पर विश्वास करते हैं। मुलायम ने रो-रोकर कहा कि जो ‘बाप’ का न हुआ वो ‘बात’ का क्या होगा। अब कोई उनसे पूछे कि हे यदुवंशी कलियुगी वीर! आप कितनी बार अपनी ‘बात’ से पलटे हैं। जरा यह तो याद कर लीजिए। रामकसम। हमें तो इस सत्तायुद्ध में फिल्म से भी ज्यादा मजा आ रहा है।
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