script

विदेशी हाथ का हौवा

Published: Aug 05, 2015 06:56:00 am

जनता किसी पार्टी को कुर्सी पर बिठाती है तो ये सोचकर कि सरकार हर तरह से देश की हिफाजत करेगी। सुरक्षा के मामले में भी और आर्थिक हमलों से बचाने में भी

 fake notes

fake notes

पाकिस्तान का नाम सुनते-सुनते जनता के भले कान पक गए हों लेकिन लगता नहीं देश के “कर्णधारों” के कानों पर कभी जूं भी रेंगी हो। रेंगती तो हमारी सरकारें और जांच एजेंसियां हर मामले में पाकिस्तान का हाथ होने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी से यूं पल्ला नहीं झाड़ती रहती। आतंककारी हमला हो तो पाकिस्तान का हाथ, साम्प्रदायिक दंगे भड़के तो पाकिस्तानी हाथ और नकली नोट चल रहे हों तो भी पाकिस्तान का ही हाथ!

अचरज की बात तो यही है कि बीस करोड़ की आबादी वाले पाकिस्तान का हाथ इतना बड़ा कैसे हो जाता है कि वह एक सौ पच्चीस करोड़ की आबादी वाले भारत को हर मामले में सालों से मुंह चिढ़ाता रहे। राष्ट्रीय जांच एजेंसी के एक सर्वे में देश में 400 करोड़ रूपए के नकली नोट चलने की बात स्वीकार की गई है।

खुफिया एजेंसियां नकली नोटों की संख्या का आंकड़ा ढाई हजार करोड़ रूपए आंक रही हैं। नकली नोटों की संख्या के आंकड़े कुछ भी हो सकते हैं लेकिन इस मामले में भी सरकार पाकिस्तानी हाथ होने की बात कहकर अपनी जिम्मेदारी से मुंह चुरा रही है। गृह मंत्रालय के अनुसार भारत में चलने वाले नकली नोट पाकिस्तानी मुद्रा से मिलते पाए गए हैं, लिहाजा इनके चलन के लिए पाकिस्तान को ही दोष्ाी माना जाता है।

 
अहम सवाल है कि इतनी बड़ी तादाद में अगर नकली नोट सीमा पार से यहां आ रहे हैं तो हमारी खुफिया एजेंसियां व पहरूवे क्या कर रहे हैं? क्या उनका काम पाकिस्तान पर दोष्ाारोपण करके कुंभकर्णी नींद सो जाना ही रह गया है? क्या नकली नोटों का रैकेट चलाने वाले गिरोह का भंडाफोड़ कर उन्हें सजा दिलाना उनका कर्तव्य नहीं है? एक छोटा-सा देश हर मामले में आपको तबाह करने पर आमादा हो लेकिन आप दोष्ाारोपण से आगे बढ़ना ही नहीं चाहते।

देश की जनता किसी पार्टी को कुर्सी पर बिठाती है तो ये सोचकर कि सरकार हर तरह से देश की हिफाजत करेगी। सुरक्षा के मामले में भी और आर्थिक हमलों से बचाने में भी। हर बात पर पाकिस्तान को संदेह के घेरे में खड़ा करने की आदत का औचित्य भी जनता जानना चाहती है।

एक तरफ मोदी सरकार अपने को दुनिया के शक्तिशाली राष्ट्रों में शुमार होने का दावा करने से नहीं चूकती दूसरी तरफ हर मामले में पाकिस्तान का नाम लेकर अपनी लाचारी दिखाने से भी नहीं हिचकती। शर्म जनता को आती ह,ै ये सोचकर कि क्या सरकार में बैठे नेताओं की प्राथमिकता बड़े बंगले, अच्छे वेतन-भत्ते और विदेशों की सैर करना ही रह गई है? उनकी प्राथमिकता में देश और जनता आखिर कब आएगी?

ट्रेंडिंग वीडियो