व्यापमं, पीएमटी
घोटाले, कैपिटेशन फीस जैसे उदाहरण सामने हैं। हालात इतने बदतर हैं कि अच्छे नम्बरों
के लिए पैसा तो क्या अस्मत मांगने से भी नहीं हिचकते ये दलाल।
पिछले 14 साल में भारत से 61 हजार धनकुबेर विदेश चले
गए वो भी करों के झंझट, सुरक्षा का खतरा और बच्चों की शिक्षा का स्तर सही नहीं होने
के कारण। वाकई आश्चर्यजनक है। विश्व में चीन के बाद इस मामले में हम दूसरे नम्बर पर
हैं। वल्र्ड वैल्थ और लिओ ग्लोबल संस्थाओं की संयुक्त रिपोर्ट देखें तो ताज्जुब
होता है कि इनमें सबसे ज्यादा लोग उस देश में गए जिसने करीब दो सौ साल हम पर राज
किया। तो क्या आजादी के 68 साल बाद भी हम वहीं खड़े हैं?
क्या इस दौरान सरकारों के
शिक्षा, सुरक्षा और बेहतर कर ढांचे पर किए दावे थोथे थे? सबसे बड़ी चिंता तो इसी
बात की है कि जो लोग देश छोड़ गए वे सब सक्षम थे। 10 करोड़ की हैसियत वाले को
करोड़पति माना जाए तो 61 हजार परिवारों का मतलब 6 लाख 10 हजार करोड़ रूपए का
व्यापार, सम्पत्ति बाहर चली गई। साथ ही हमारे पढ़े-लिखे कुशल व्यापारी, इंजीनियर,
डॉक्टर, तकनीकी विशेष्ाज्ञों का लाभ भी उन देशों को मिल रहा है। क्या देश पर राज
करने वालों ने कभी सोचा कि इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं?
कोई भी बता सकता है कि
सिर्फ हमारा सिस्टम, जो इतना लचर और भ्रष्ट है कि इसके डर से प्रतिभाएं तो बाहर जा
ही रही हैं, प्रवासी भारतीय भी आने से कतराते हैं। हर वष्ाü कई राज्यों में प्रवासी
सम्मेलन, रिसर्जेट जैसे आयोजन सरकारों की ओर से होते हैं। इस तैयारी पर ही करोड़ों
रूपए फूंके जाते हैं।
हजारों करोड़ के एमओयू होते हैं लेकिन फलीभूत चौथाई भी नहीं
होते। क्यों? पिछले प्रवासी सम्मेलन में आए एक एनआरआई की टिप्पणी से समझा जा सकता
है। “यहां एक उद्योग चलाने के लिए 48 विभागों को झेलना होता है। कैसे करे व्यापार?
कर ढांचा ऎसा है कि एक बार अधिकारियों के जाल में व्यवसायी फंसा तो खुद को बेचने की
नौबत आ जाती है।” सुरक्षा का हाल तो सबसे विकट है। शिक्षा का आलम भी देखिए।
व्यापमं, पीएमटी घोटाले, कैपिटेशन फीस जैसे उदाहरण सबके सामने हैं। हालात इतने बदतर
हैं कि अच्छे नम्बरों के लिए पैसा तो क्या अस्मत मांगने से भी नहीं हिचकते ये
शिक्षा के दलाल। अब ऎसे में सक्षम परिवार पलायन नहीं करेंगे तो क्या करेंगे? सरकार
को हालात बदलने होंगे। मोदी सरकार ने वादे तो खूब किए हैं कि 25 साल में देश को फिर
सोने की चिडिया का देश बनाएंगे। लेकिन यदि नागरिकों को शिक्षा, सुरक्षा और काम का
बेहतर माहौल नहीं दे पाए तो 25 साल सत्ता में कैसे रहेंगे? यूं ही सोने की चिडिया
सुरक्षित घरौंदों की तलाश में तेजी से पलायन करती रहेंगी।
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