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तो और ता

Published: May 15, 2015 10:46:00 pm

नेता कहता है कि अगर मैं एक बार भी मंत्री बन गया “तो”
अपने क्षेत्र को “स्वर्ग” बना दूंगा। विकास की गंगा बहा दूंगा

nitin gadkari

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नाबाबा ना, तोता पर निबन्ध! कतई नहीं। न हमें तोता पालने का कोई शौक है और न यह इच्छा कि हम किसी नेता के तोते बने और वो जब कहे तब बोले राम-राम और न मिट्ठू-मिट्ठू की रट लगा कर नेता का जी बहलाएं। लेकिन इतना जरूर जानते हैं कि एक नेता का “तो” और “ता” से इतना गहरा सम्बंध होता है जैसे “अचार” और “खटाई” का, “शक्कर और मिठाई” का, “धणी और लुगाई” का। फर्ज कीजिए अगर नेता का “ता” हटा लिया जाए तो वह बचेगा क्या? जैसे बगैर सींग का बैल, बिना डंक का बिच्छू और बगैर कुर्सी का अफसर। इसलिए नेता के संग “ता” जरूरी है और “ता” ही नेता की ताकत है।

लेकिन आज हम बात “ता” की नहीं “तो” की कर रहे हैं। “तो” ऎसा अक्षर है जो नेता का शक्ति पुंज यानी पावर हाउस है। अब जरा तफसील से समझिए। हाल ही मोदी सरकार के भारी-भरकम मंत्री गडकरी की पूर्ति पर सीएजी ने इल्जाम लगाया कि वहां गड़बड़ी हुई। विपक्ष ने लोकसभा में गडकरी को घेरा और इस्तीफा मांगा।

गडकरी बोले अगर मुझ पर इल्जाम साबित हो जाए तो मैं इस्तीफा देने को तैयार हूं। कई नेता जोश में कहते हैं कि अगर मेरी गलती हो तो मैं फांसी चढ़ने को तैयार हूं। अगर मेरे साले ने रिश्वत ली तो मैं मंत्री पद त्याग दूंगा। तो साहब यह जो “तो” है ना यह नेता का रक्षक और उन पर लगे सभी तरह के आरोपों का भक्षक है। जैसे कोई बेईमान अफसर ये कहे कि अगर सारा देश ईमानदार हो जाए “तो” मैं रिश्वतखोरी छोड़ने को तैयार हूं।

अजी साहब, कब मरेगी सासू और कब आएंगे “आंसू”। न नौ मण तेल होगा और न राधा नाचेगी। इसलिए सारे नेता “तो” शब्द से अपने मां-बाप से भी ज्यादा प्यार करते हैं। “तो” को तो हमेशा साथ रखते हैं और अपनी “आत्मा” को अक्सर बंगले पर भूल आते हैं परन्तु “तो” को कभी नहीं भूलते। यह “तो” उनका जीवनप्राण है।

“तो” के सहारे ही वे विरोधियों के वार बचाते हैं और जनता को सपने दिखाते हैं। चुनाव में नेता कहता है कि अगर मैं एक बार मंत्री बन गया “तो” अपने क्षेत्र को “स्वर्ग” बना दूंगा।विकास की गंगा बहा दूंगा। नेता ही नहीं आम जिन्दगी में चतुर लोग भी “तो” का भरपूर दोहन करते हैं।

अपने मूर्ख प्रेमी की जेब काट कर मजे उड़ाती चालाक प्रेमिका अक्सर उससे कहती है कि अगर मेरे बाप ने “हां भर दी “तो” मैं तुम्हारी होने में देर नहीं करूंगी। चटोरी प्रेमिका जानती है कि मेरा कसाई बाप इस जमूरे से ब्याह करने को कभी राजी नहीं होगा। बेचारा मूर्ख प्रेमी दिन में सपने देखता रहता है।

माफ कीजिएगा ये जग बीती नहीं आप बीती बयान कर रहे हैं। अब “तो” आप मान गए कि सच कहने में हमारा नाम राजा हरिश्चन्द्र और शहजादे हातिमताई के बाद आता है। तो साहब “तो” की ताकत को जानिए पहचानिए और इसका जमकर इस्तेमाल करने की आदत डालिए। इससे आपकी जेब और सेहत दोनों सुरक्षित रहेंगी। जरा गहराई से सोचिए कैसे। तो समझ गए ना। – राही

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