scriptविरोध के लिए विरोध | To protest against | Patrika News

विरोध के लिए विरोध

Published: Apr 28, 2016 11:06:00 pm

भाजपा ‘ऑड-ईवन’ का वाकई विरोध करना चाहती है तो क्यों नहीं उसके सभी
सांसद रोजाना साइकिल पर संसद जाएं? पेट्रोल भी बचेगा, प्रदूषण भी रुकेगा और
ट्रैफिक समस्या से भी निदान मिलेगा। जनहित के कार्यों को यूं मजाक का विषय
नहीं बनाना चाहिए

Opinion news

Opinion news

जिस देश के सांसद-विधायक ही मसखरेपन पर उतर आएं, उस देश का कल्याण भला हो सकता है? मसखरापन ऐसा कि मदारी भी शरमा जाए। भाजपा के दो सांसदों ने दिल्ली सरकार की योजना ‘ऑड-ईवन’ का विरोध जताने के लिए ऐसा ही मसखरापन दिखाया। एक सांसद तो घोड़े पर बैठकर संसद भवन तक पहुंचे तो दूसरे सांसद साइकिल पर विरोध की तख्ती लटकाकर पहुंचे। चैनलों ने भी खबरें दिखाईं तो समाचार पत्रों में भी इनको तवज्जो मिली।

मानो इन्होंने कोई महान कारनामा कर दिखाया हो। सवाल उठता है कि सांसदों का विरोध क्या सिर्फ इसलिए था कि योजना अरविंद केजरीवाल सरकार ने लागू की है। वही केजरीवाल जिन्होंने 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में भाजपा को तीन सीटों पर समेट दिया था। सांसदों को किसी भी सरकार की किसी भी योजना का विरोध का हक है। लेकिन बेहतर हो कि विरोध के साथ-साथ वे वैकल्पिक उपाय भी सुझाएं।

दिल्ली की बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था से निजात दिलाने के लिए आखिर सरकार को कोई कदम तो उठाने पड़ेंगे। लोकतंत्र और राजनीति के लिए अच्छा होता यदि भाजपा ‘ऑड-ईवन’ योजना को और अच्छा बनाने के लिए सकारात्मक सुझाव देती। क्या दिल्ली में लगने वाले जाम से भाजपा नेता-कार्यकर्ताओं को परेशानी नहीं होती? विधानसभा चुनाव में दिल्ली की जनता ने भाजपा को भले नकार दिया हो लेकिन दिल्ली विधानसभा में अब भी वह विपक्षी दल के रूप में मौजूद है। दिल्ली के सातों सांसद भाजपा के हैं। दिल्ली में नगर निगमों पर भी भाजपा का कब्जा है। ऐसे में दिल्ली के लोगों की समस्याओं का हल निकलवाने के प्रति उसकी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है।

महज राजनीतिक फायदे के लिए इस तरह की मसखरेबाजी से सांसदों का प्रचार तो हो सकता है लेकिन जनता को राहत नहीं मिल सकती। भाजपा अपने आपको दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बताती है। उसके दावे में सच्चाई भी हो सकती है। लेकिन बड़ी पार्टी होने का मतलब जिम्मेदारियों का भी बड़ा होना हो जाता है।

भाजपा को एक बड़ी पार्टी की तरह ही व्यवहार भी करना चाहिए। सस्ती लोकप्रियता के लिए यूं एक दिन साइकिल पर चले जाने से कुछ होने वाला नहीं। भाजपा ‘ऑड-ईवन’ का वाकई विरोध करना चाहती है तो क्यों नहीं उसके सभी सांसद रोजाना साइकिल पर संसद जाएं? पेट्रोल भी बचेगा, प्रदूषण भी रुकेगा और ट्रैफिक समस्या से भी निदान मिलेगा। चुनाव में हार-जीत होती रहती है लेकिन जनहित के कार्यों को यूं मजाक का विषय नहीं बनाना चाहिए। कम से कम सांसदों को तो बिलकुल भी नहीं।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो