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तबादला ऋतु

Published: May 25, 2015 11:21:00 pm

किसी दलाल को पकड़ो और मजे से ट्रांसफर लिस्ट में अपना
नाम दर्ज करवा लो। कई बेचारे तो जेब में माल लिए भी घूमते रहते हैं

Manish Sisodia

Manish Sisodia

लीजिए साहब। आप भी अपने सामान्य ज्ञान में वृद्धि कर लीजिए। अपने “आप” वाले मनीष सिसोदिया साहब ने फरमाया है कि उनकी पार्टी ने दिल्ली के “तबादला” उद्योग पर लगाम लगानी चाही सो उनकी सरकार और डिप्टी साहब के बीच जंग छिड़ गई। उन्होंने इस बात का इस तरह रहस्योद्घाटन किया मानो इससे पहले किसी को पता ही नहीं था कि इस देश में “तबादला” नामक एक गुप्त उद्योग भी चल रहा है।

सिसोदिया साब आपको मंत्री बने जुम्मा-जुम्मा सौ दिन हुए हैं और हम अपनी जिन्दगी में न कभी मंत्री रहे और न कभी बनेंगे लेकिन आपकी सेवा में अर्ज कर दे कि राजधानी दिल्ली में ही नहीं वरन् देश की हर राजधानी में तबादला नामक एक शानदार उद्योग है जिसके अंतर्गत प्रतिवष्ाü अरबों का “कारोबार” होता है। और कथित रूप से “गुप्त” लेकिन व्यवहारिक रूप से उजागर इस पवित्र उद्योग में चपरासी से लेकर आला अफसर, पंच से लेकर विधायक, उपमंत्री से लेकर कैबिनेट मंत्री, निजी सेवक, ड्राइवर, छोटे-बडे बाबू, पीए इत्यादि नाना नामधारी लोग मुस्तैदी से शामिल रहते हैं। कुछ पीत वर्णी पत्रकारिता करने वाले खबरनवीसों का तो धंधा ही तबादला उद्योग से चलता है।

हम ऎसे कई सफेदपोशों को जानते हैं जो साल में एक हर्फ भी नहीं लिखते लेकिन तबादलों के मौसम के पश्चात् वे एक नई चमचमाती कार जरूर ले आते हैं। ऎसा नहीं कि तबादले हमने नहीं कराए। हां जरूर कराए हैं। एक बार हमारी बुआ की बेटी के जंवाई की बहन के देवर की अध्यापिका पत्नी का स्थानान्तरण हमने करवाया था।

हमने सोचा कि हम राजधानी में रहते हैं, बड़े-बड़े से हमारी दुआ सलाम है। हम तो ये काम चुटकियों में करा देंगे। लेकिन जहां भी वह स्थानान्तरण प्रार्थनापत्र लेकर गए उसने हमें ऎसे देखा जैसे हम हथियारों के दलाल विन चड्ढा या क्वाात्रोच्ची हों और इस ट्रांसफर के लिए लाखों की रकम खाकर बैठे हों।

कसम से उस दिन के बाद जो भी ट्रांसफर के लिए हमारे पास आया उससे हाथ जोड़ कर कह दिया- भैया! हमारा एक बोतल खून ले जाओ लेकिन तबादले के लिए मत कहो। हमारे साथ भटकने से बेहतर है राजधानी में किसी दलाल को पकड़ो और मजे से ट्रांसफर लिस्ट में अपना नाम दर्ज करवा लो। कई बेचारे तो जेब में माल लिए घूमते रहते हैं।

उन्हें समझ नहीं आता कि इसे पहुंचाएं किसके माध्यम से। एक पुराने मंत्री जी के लिए यह पुण्यकार्य उनका ही सुपुत्र करता था। तो भाई मनीष सिसोदिया जी। या तो आप भोले हैं या फिर आपको जानकारी ही नहीं है। और देखा जाए तो आप भी तबादले की ताकत अपने पास इसलिए रखना चाहते हैं जिससे आपके सड़सठ बन्दों को कुछ लाभकारी काम धंधा तो मिले। अभी तक तो वे समझ ही नहीं पा रहे कि ऎसी विधायकी का क्या करें जो न ओढ़ने की है न बिछाने की। तबादलों का मजा देखना है तो आप हमारे यहां आ जाइए। आजकल इधर तबादला ऋ तु चल रही है।

राही
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