चंद सिरफिरे लोगों को छोड़ दिया जाए तो देश के अधिकांश लोग उत्तर
प्रदेश में दादरी के बिसहाड़ा गांव के लोगों की सोच के ही हैं, जो हिन्दू-मुस्लिम
भाईचारे को मजबूत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते। रविवार को गांव के हिन्दू समुदाय
के लोगों ने मुस्लिम समाज की दो बेटियों का निकाह कराया। इन लोगों ने न सिर्फ निकाह
का सारा खर्च उठाया बल्कि खाना बनाने से लेकर मेहमान नवाजी की सारी रस्में भी
निभाई। ये वही बिसहाड़ा गांव है जहां एक पखवाड़े पहले गांव के कुछ लोगों ने दूसरे
समुदाय के एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। पीटने का कारण गाय के मांस की
अफवाह रही।
जांच में पता चला कि मारे गए व्यक्ति के यहां गाय का मांस था ही नहीं।
ये बात उत्तर प्रदेश की या दादरी की नहीं समूचे भारत की है जहां चंद स्वार्थी लोग
तनाव भड़काने की फिराक में बैठे रहते हैं। इनमें अधिकांश घटनाएं राजनेताओं के इशारे
पर होती हैं। चंद लोगों की नासमझी की सजा पूरे देश को भुगतनी पड़ती है। एक जगह से
उठने वाली चिंगारी दूर-दूर फैलकर माहौल को दूçष्ात करती है।
बिसहाड़ा में
हिन्दुओं की तरफ से मुस्लिम युवतियों के कराए गए निकाह से मृतक के परिजन के घावों
को तो नहीं भरा जा सकता लेकिन साम्प्रदायिक सद्भाव की यह मिसाल दूसरे लोगों के लिए
प्रेरणादायी जरूर बन सकती है। देश के सवा सौ करोड़ लोग यदि तय कर लें तो किसी
राजनीतिक दल या नेता की ताकत नहीं कि वह भाईचारे को बिगाड़ कर अपनी राजनीति चमका
सके। चंद घटनाओं को छोड़ दिया जाए तो देश में आज भी गांव हों या शहर, सभी धर्म और
जातियों के लोग मिल-जुलकर ही रहते हैं।
देश के सामाजिक ढांचे की बनावट ही कुछ ऎसी
है कि एक-दूसरे के बिना काम चलता ही नहीं। बिसहाड़ा में एक व्यक्ति को पीट-पीटकर
मारने वालों को जहां सख्त सजा देने की आवश्यकता है, वहीं मुस्लिम युवतियों का निकाह
कराने वाले हिन्दू युवकों को प्रोत्साहित करने की भी जरूरत है। ऎसे प्रयासों से
दूसरों को मिलने वाली प्रेरणा वो काम कर सकती है जो समूची सरकार या प्रशासन शायद
नहीं कर पाएं।
साम्प्रदायिक सौहार्द की मिसाल पेश करने वाली खबरों के प्रचार-प्रसार
को बढ़ाने की भी आवश्यकता है। जीवन के हर क्षेत्र में फैल रही कड़वाहट को ऎसी खबरें
ही दूर कर सकती हैं। नफरत भरे माहौल में बिसहाड़ा के चंद लोगों ने जो पहल की है,
उसे आगे ले जाने की जिम्मेदारी सवा सौ करोड़ लोगों को अपने कंधे पर लेनी होगी।