व्यंग्य राही की कलम से
हम इंतजार करेंगे तेरा कयामत तक, खुदा करे कि कयामत हो और तू आए- एक प्रेमी ही अपनी प्रेमिका की कयामत तक प्रतीक्षा कर सकता है क्योंकि कयामत कब होगी, इसका इलहाम कम से कम इंसान को तो हो नहीं सकता। कयामत का अर्थ होता है प्रलय। प्रलय के बाद इस पृथ्वी पर कुछ बचेगा या नहीं, यह तो हम कह नहीं सकते। अलबत्ता कुछ ज्ञानी कहते हैं कि कयामत के दिन इंसान के भले-बुरे का हिसाब होता है।
असल में हमारी ही क्यों हर आदमजात की अभिलाषा होती है कि वह अनन्तकाल तक जीवित रहे और इस दुनिया का सुख भोगे। हालांकि बड़ी उम्र तक जिन्दा रहने का सबसे बड़ा दुख यह होता है कि धीरे-धीरे उसके सारे अजीज दुनिया छोड़कर जाते हैं। जब आपके साथ वक्त बिताने को आपके प्रियजन ही नहीं तो फिर जिन्दा रहने का क्या अर्थ है। यूं भी आजकल बेटे-पोतों के रहते भी आदमी अकेला होता जा रहा है क्योंकि इस भागती-दौड़ती दुनिया में बुजुर्गों के लिए नई पीढ़ी के पास वक्त कहां है?
बहरहाल बात कयामत की हो रही है तो हमें अपनी विदेश मंत्री बहन सुषमा स्वराज की एक बात बड़ी भली लगी जो उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री मियां नवाज शरीफ की बात का जवाब देते हुए कही। मियां साब ने फरमाया कि वे उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा होगा? सुषमा ने कहा कि वह दिन कयामत तक नहीं आएगा।
किसी जमाने में पाकिस्तान के वजीरे आजम जुल्फिकार अली भुट्टो ने फरमाया कि वे कश्मीर के लिए एक हजार साल तक लड़ेंगे लेकिन उनके अरमान फौजी तानाशाह जिया उल हक ने मटियामेट कर दिए और जनाबेआली भुट्टो को सूली पर चढ़ा दिया। हम मियां साहब से यही इल्तिजा करते हैं कि जनाब बेहतर हो कि अपने आपको अपने फौजी जनरलों से बचाएं वरना उनकी हुकूमत के लिए कयामत कभी भी आ सकती है।