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…आखिर कब मिलेगा स्थाई कोच

अब यह करीब-करीब तय हो गया है कि हॉलैंड के
कोच पॉल वॉन एस भारतीय टीम के साथ आगे काम नहीं कर पाएंगे।

Jul 25, 2015 / 12:10 am

मुकेश शर्मा

Hockey

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अब यह करीब-करीब तय हो गया है कि हॉलैंड के कोच पॉल वॉन एस भारतीय टीम के साथ आगे काम नहीं कर पाएंगे। यह वास्तव में बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है।



भारत की संस्कृति तो सबको साथ लेकर चलने वाली है लेकिन हॉकी इंडिया या हॉकी से जुड़े अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं। हॉकी इंडिया के कर्ता-धर्ता नरेन्द्र बत्रा सारी चीजें अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं। उन्हें पॉल वॉन एस को खराब कोच कहने का कोई अधिकार नहीं है।


उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि पॉल वॉन एस का चयन किए जाते समय वे खुद भी शामिल थे। यानी जब तक वो उनकी सुनते थे तब तक वे अच्छे कोच थे और आज खराब हो गए? सच तो यह है कि अच्छे प्रदर्शन के लिए किसी भी कोच को पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए क्योंकि किसी भी कोच के पास ऎसी घुट्टी नहीं होती जिसे पिलाकर टीम टॉप पर पहुंच जाए।


पॉल वॉन को कहा जा रहा है कि वे सख्त मिजाज के है तो पहले यह बताएं कि आपको बेहतर परिणाम चाहिए या उनका मिजाज ठीक करना हैं। कई वरिष्ठ हॉकी खिलाड़ी आम तौर पर विदेशी कोच की आलोचना करते दिखाई देते हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि विदेशी कोच के रहते उनका कोच बनने का अवसर समाप्त हो जाता है।


लेकिन पॉल वॉन इस मामले में अपवाद शामिल हुए हैं। उन्हें बलबीर सिंह सीनियर जैसे महान खिलाड़ी का समर्थन प्राप्त है तो वहीं पूर्व भारतीय कप्तान और कोच जोकिम कर्वाल्हो और पूर्व भारतीय गोलकीपर चाल्र्स कॉर्नेलियस का भी समर्थन मिला हुआ है।


ये दिग्गज जानते हैं कि बार-बार कोच बदलना आत्मघाती साबित हो सकता है। फिलहाल पूर्व ऑलंपियन हरविंदर सिंह की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया गया है और उधर खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण का विश्वास भी पॉल वॉन एस से डगमगाया था।


पॉल वॉन ने कहा है कि उन्हें उनकी बर्खास्तगी की जानकारी टीम के हाई प्रफोरमेंस डायरेक्टर ओल्टमैंस से प्राप्त हुई है, जबकि खेल मंत्रालय की शिकायत है कि इतने गंभीर मामले के बावजूद उन्होंने इस बात की खेल मंत्रालय से पुष्टि क्यों नहीं की।

मिलना चाहिए पर्याप्त समय


पिछले पांच साल से भारतीय हॉकी में कोच बदलने का खेल चल रहा है। अगर पॉल वॉन अपने काम में दखल अंदाजी नहीं चाहते तो ये उनका पूरा अधिकार है। हर कोच का काम करने का अपना एक तरीका होता है लेकिन वहीं सिक्के का एक दूसरा पहलू यह भी है कि भारतीय हॉकी टीम के ज्यादातर खिलाड़ी ओल्टमैंस को ज्यादा पसंद करते हैं। भारतीय हॉकी के लिए वल्र्ड हॉकी लीग और उसके बाद रियो ओलंपिक काफी मायने रखते हैं। हाल में भारत ने कुल मिलाकर पहले से बेहतर हॉकी का प्रदर्शन किया है।

रवैये से थे असंतुष्ट…


पॉल वॉन हटाए जाने से दुनिया भर में यह संदेश गया है कि भारतीय टीम के साथ किसी विदेशी कोच की दाल नहीं गल सकती। 2010 के वल्र्ड कप और कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय टीम के कोच स्पेन के जोस ब्रासा ने भी हॉकी इंडिया के साथ काम करने में नाराजगी जाहिर की थी।

उन्होंने पिछले दिनों कहा था पॉल वॉन एस यदि भारतीय टीम से हटते हैं तो यह चौंकाने वाली बात नहीं होगी।

इसी तरह ऑस्ट्रेलिया के महान हॉकी खिलाड़ी रिक चाल्र्सवर्थ और टेरी वाल्श भी भारतीय हॉकी के रवैये से संतुष्ट नहीं दिखाई दिए। रिक चाल्र्सवर्थ को तो एयरपोर्ट से उतरने के बाद ऑटो करने जाना पड़ा था। इसी तरह माइकल नोब्स और जर्मनी के जिरहॉल्ट राख को भी भारतीय हॉकी अधिकारियों की उपेक्षा का सामना करना पड़ा था।

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