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आंख कब खुलेगी?

Published: Jan 16, 2017 05:37:00 am

एक ही पत्थर से बार-बार ठोकर खाने के बावजूद सरकारें संभलना क्यों नहीं चाहती? खासकर हादसों के मामले में!

Ganga Sagar stampede

Ganga Sagar stampede

एक ही पत्थर से बार-बार ठोकर खाने के बावजूद सरकारें संभलना क्यों नहीं चाहती? खासकर हादसों के मामले में! बिहार की राजधानी पटना का नाव हादसा 24 जिंदगियों को लील गया! किसी के चेहरे पर शिकन नहीं । सिवाय उन परिवारों के जिन्होंने अपनों को हमेशा के लिए खो दिया। हादसे के बाद वही रस्म अदायगी! जांच के आदेश। बिहार सरकार और केन्द्र सरकार की तरफ से तत्काल मुआवजे के आदेश। मानो 8-10 लाख की रकम से लोगों के जख्म भर जाएंगे? रविवार को गंगासागर में मची भगदड़ में भी कुछ श्रद्धालुओं की मौत हो गई।


आए दिन कभी मेले में भगदड़ से बेगुनाहों की मौत हो जाती है तो कभी मंदिर में श्रद्धालु भगदड़ में जिंदगी गवां बैठते हैं। कभी क्षमता से अधिक सवारियों के बैठने से नाव पलट जाती है और लोग समा जाते हैं काल के मुंह में। मकर संक्रान्ति पर पटना में पतंग महोत्सव के बाद जो हुआ वह प्रशासन के होने पर ही सवाल खड़े करता है। उम्मीद से अधिक लोग महोत्सव में जुटे तो मीडिया में किसी अनहोनी को लेकर आशंकाएं जताई जाने लगी थी। गंगा नदी में नाव से लौटने वालों की तादाद अधिक थी लेकिन नावों की संख्या कम। पर्यटन विभाग महोत्सव के समापन की घोषणा करके चला गया। पीछे प्रशासन न भीड़ संभालने के लिए और न पर्याप्त नावों की व्यवस्था के लिए नजर आया।

 नाव में क्षमता से अधिक लोग सवार हो गए और नाव डूब गई। प्रशासनिक अधिकारी मौके पर होते तो शायद 30 की जगह 70 लोग नाव पर सवार नहीं होते? हादसे की खबर के बाद भी प्रशासन के बड़े अधिकारियों ने मौके पर पहुंचना जरूरी नहीं समझा। बिहार सरकार को सबसे पहले जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक समेत लापरवाह अधिकारियों को बर्खास्त करना चाहिए था। मुआवजा भी उन्हीं अधिकारियों के वेतन से काटा जाना चाहिए था जिन पर सुरक्षा-व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी थी। जब तक ऐसी सख्ती नहीं होगी तब तक एक ही पत्थर से ठोकर खाते रहेंगे।
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