एक अंग्रेजी अखबार ने लिखा है कि नॉब्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि खिलाडियों का एक ग्रुप(जिसमें पंजाब के खिलाड़ी थे) टीम के बजाय अपने प्रदर्शन पर ज्यादा केन्द्रित था। गुरबाज सिंह, राजपाल सिंह और सरवनजीत सिंह इस ग्रुप के अगुवा थे। इस रिपोर्ट के बारे में नॉब्स ने कहाकि मैंने पहले भी कहा था कि टीम में कुछ ऎसे खिलाड़ी थे देश के लिए नहीं बल्कि ओलंपियन का तमगा लगाने के लिए खेलते थे।
रिपोर्ट में बताया गया है कि सरवनजीत को टीम में खिलाने के लिए किसी और खिलाड़ी को चोटिल करने का प्लान भी था। सरवनजीत ओलंपिक टीम में स्टैंड बाई खिलाड़ी था। नॉब्स ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि सरवनजीत मेरे और डॉक्टर डेविड के पास आया और बोला कि मनप्रीत सिंह अपना हाथ काटने वाला है ताकि वह खेल सके। गुरबाज और सरवनजीत अगुवा थे और मनप्रीत व धरमवीर के प्रदर्शन पर असर डालने लगे थे।
एक बेनाम खिलाड़ी ने बताया कि, मैंने टीम में गुटबाजी की रिपोर्ट पढ़ी लिखी लेकिन यह मैंने इसे गलत माना। हमारी टीम परिवार के जैसी थी। कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि सरवनजीत सिंह ने गुरविंदर को अपनी अंगुली चोटिल करने को कहा जिससे कि उसे ओलंपिक में खेलने का मौका मिल सके। यह टीम के लिए सही बात नहीं थी। एक अन्य खिलाड़ी ने बताया कि, टीम के मैच हारने के बाद गुरबाज, चांडी अैर सरवनजीत और कुछ अन्य खिलाड़ी हम पर हंसते थे। वे हम पर इस तरह हंसते मानो टीम के सदस्य ही न हो।
हॉकी इंडिया ने कड़ी कार्रवाई करते हुए गुरबाज को एक साल से ज्यादा के लिए निलंबित कर दिया था और सरवनजीत को साइडलाइन कर दिया था। बाद में गुरबाज ने लिखित में माफी मांग ली थी जिसके बाद उसे टीम में लिया गया था लेकिन उस पर एक बार फिर गुटबाजी का आरोप लगा। हाल ही में इस्तीफा देने वाले असिस्टेंट कोच जूड फेलिक्स ने अपनी रिपोर्ट में गुरबाज पर टीम में दरार डालने का जिम्मेदार ठहराया। इसके बाद गुरबाज को नौ महीने के लिए फिर से प्रतिबंधित कर दिया गया।