आईओए ने सुरेश कलमाडी और अभय चौटाला मामले में खेल मंत्रालय के नोटिस का जवाब देने को 15 जनवरी तक का समय मांगा,
लेकिन सरकार इससे संतुष्ट नहीं हुई।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सुरेश कलमाडी और अभय चौटाला को भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) का आजीवन अध्यक्ष बनाए जाने के विवादास्पद मामले में शुक्रवार को कड़ा कदम उठाते हुए आईओए की मान्यता को तब तक के लिए निलंबित कर दिया, जब तक कि आईओए अपना फैसला नहीं बदलता। सरकार ने इस मामले में 28 दिसंबर को आईओए को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और आईओए को शुक्रवार शाम पांच बजे तक इस नोटिस का जवाब देना था। आईओए ने इस नोटिस का जवाब देने के लिए 15 जनवरी 2017 तक का समय मांगा, लेकिन सरकार इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुई और उसने आईओए की मान्यता को निलंबित कर दिया।
अड़ियल रुख पड़ा आईओए को भारीकेंद्रीय खेल मंत्रालय की आपत्ति के बावजूद अडिय़ल रुख अपनाए रहना ही भारतीय ओलंपिक आंदोलन के अगुआ संगठन पर भारी पड़ा है। इसी अडिय़ल रुख के चलते खेल मंत्रालय ने शुक्रवार को आईओए की मान्यता निलंबित कर दी। हालांकि इसके चलते भारतीय खेल एक बार फिर साल 2011 जैसे दो राहे पर आ खड़े हुए हैं, जब अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) ने नेशनल स्पोट्र्स कोड लागू करने को आईओए में सरकारी हस्तक्षेप बताते हुए भारत की ओलंपिक मान्यता ही खत्म करने की चेतावनी दे दी थी।
बाद में 2012 में चौटाला के अध्यक्ष बनने की वजह से ही यह मान्यता अस्थाई तौर पर खत्म भी कर दी गई थी, जिसका खामियाजा भारतीय खिलाडिय़ों को 2014 तक बिना तिरंगे के खेलकर भुगतना पड़ा था। शुक्रवार को केंद्रीय खेल मंत्रालय की तरफ से की गई कार्रवाई के बाद एक बार फिर सभी निगाहें आईओसी पर ही टिकी होंगी कि उसका इस मामले में क्या रुख रहता है?
आईओए ने नहीं दी मंत्रालय को तरजीहआईओए ने 27 दिसंबर को चेन्नई में अपनी वार्षिक आम बैठक में कलमाड़ी और चौटाला को आजीवन अध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला किया था। सरकार ने इसके अगले दिन 28 दिसंबर को आईओए को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। सरकार का कहना है कि कलमाड़ी और चौटाला दोनों पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं और वह उन्हें आजीवन अध्यक्ष बनाने के खिलाफ है।
आईओए को शुक्रवार शाम पांच बजे तक इस नोटिस का जवाब देना था। आईओए ने अपने जवाब में यह कारण बताते हुए 15 जनवरी तक का समय मांगा कि उसके अध्यक्ष एन. रामचंद्रन इस समय देश से बाहर है और इस मामले पर उनसे विचार-विमर्श करने की जरूरत है। सूत्रों का कहना है कि आईओए के इस गोलमोल जवाब को मंत्रालय को तरजीह नहीं दिए जाने जैसा महसूस किया गया।
सुशासन के लिए सरकार नहीं रहेगी मूकदर्शकसरकार ने कहा कि वह आईओए के इस जवाब से सहमत नहीं है, क्योंकि उसने कलमाड़ी और चौटाला के अयोग्य होने के संबंध में ठोस जवाब नहीं दिया है। सरकार को लगता है कि यह जवाब आईओए का समय पाने के लिए एक बहाना है। यह आईओए द्वारा सुशासन के नियमों का खुला उल्लंघन है। ऐसे में तत्काल सख्त कार्रवाई किए जाने की जरूरत है, क्योंकि यह मामला राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है।
सरकार का कहना है कि वह ओलंपिक चार्टर का पूरा सम्मान करती है और खेलों की स्वायत्तता की सुरक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन आईओए के नैतिकता के सिद्धांतों और सुशासन के आदर्शों के खुले उल्लंघन पर वह मूकदर्शक नहीं बनी रह सकती। आईओए ने देेश की प्रतिष्ठा को दांव पर लगाया है, इसलिए सरकार ने कड़े कदम उठाते हुये आईओए की मान्यता को तब तक निलंबित करने का फैसला लिया, जब तक आईओए अपने फैसले में सुधार नहीं कर लेता।
नहीं मिलेगी सरकार से कोई सुविधा
केंद्रीय खेल मंत्री विजय गोयल ने निलंबन की कार्रवाई पर कहा, आईओए ने जिस
दिन कलमाड़ी और चौटाला को आजीवन अध्यक्ष नियुक्त करने का फैसला किया था,
उसी दिन सरकार ने स्पष्ट कर दिया था कि वह इस फैसले से सहमत नहीं है और
आईओए को तमाम संबंध तोडऩे की चेतावनी भी दे दी गई थी, लेकिन उसके बाद तीन
दिन गुजर गए, आईओए ने अपना फैसला नहीं बदला। आईओए को निलंबित किए जाने के
बाद अब भारतीय ओलंपिक संघ राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (एनओसी) के रूप में सरकार
से मिलने वाली तमाम सुविधाओं से वंचित हो जाएगा। आईओए को सरकार से मिलने
वाली वित्तीय तथा अन्य मदद अब रोक दी जाएगी।
बोले खेलमंत्रीसभी को यह संदेश दिया जाना जरूरी है कि तमाम खेल संघ जनता के प्रति जवाबदेह हैं और उन्हें आचार संहिता का हर हाल में पालन करना होगा। आईओए जब तक कलमाड़ी और चौटाला पर अपने फैसले को नहीं बदलता है, तब तक के लिए सरकार ने आईओए को दी गई मान्यता को निलंबित कर दिया है। आईओए के ये फैसले नैतिकता के खिलाफ थे, इसलिये हमने यह कदम उठाया है।
विजय गोयल, केंद्रीय खेल मंत्री