भारतीय हॉकी टीम को जूनियर विश्व चैंपियन बनाने वाले कोच हरेंद्र सिंह को खिलाड़ी के तौर पर फेल घोषित कर दिया था हॉकी प्रबंधन ने, जबकि सीनियर हॉकी टीम को चैंपियंस ट्रॉफी में रजत दिलाने वाले कप्तान पीआर श्रीजेश का अनुभव यहां काम आया।
कुलदीप पंवारनई दिल्ली। चार महीने पहले की बात है। भारतीय हॉकी टीम 38 साल बाद पहली बार चैंपियन ट्रॉफी में कोई पदक जीती थी। उस टीम के कप्तान थे भारतीय गोलकीपर पीआर श्रीजेश। भारतीय टीम वह फाइनल ऑस्ट्रेलिया से पेनल्टी शूटआउट में हारी थी। अब यहां रविवार रात खत्म हुए जूनियर हॉकी विश्व कप का सेमीफाइनल याद कीजिए। ठीक चैंपियंस ट्रॉफी जैसा ही नजारा था। 2-2 से बराबरी के बाद मामला शूटआउट में गया। सभी ने सोचा कि बस भारतीय अभियान खत्म, लेकिन हुआ उलट। भारत 4-2 से जीतकर पहुंच गया फाइनल में। आप सोच रहे होंगे कि यह बात यहां क्यूं बताई जा रही है?
दरअसल इस जीत के पीछे छिपा था पिछले महीने एफआईएच प्लेयर ऑफ द ईयर अवॉर्ड के अंतिम-5 खिलाडि़यों में चुने गए श्रीजेश का बदला। श्रीजेश चोटिल होने के कारण इस समय सीनियर भारतीय हॉकी टीम की ड्यूटी से दूर हैं। लेकिन हॉकी का प्रेम देखिए, उन्होंने अपने लिए नया काम ढूंढ लिया। यह काम था जूनियर हॉकी टीम के दोनों गोलकीपरों को विश्व कप के दबाव से जूझने की ट्रेनिंग देने का।
विश्व कप की शुरुआत होते ही लखनऊ पहुंच गए श्रीजेश वहां टीम के गोलकीपिंग कोच के तौर पर हर पल डगआउट में मौजूद रहे। नतीजा सेमीफाइनल में उन्होंने खुद चैंपियंस ट्रॉफी में की गलतियों से सबक लेकर विकास दहिया को सलाह दी और विकास ने ऑस्ट्रेलियाई स्ट्राइकरों के जबरदस्त शॉट्स का बचाव कर इतिहास लिख दिया। विकास इस मैच में मैन ऑफ द मैच बने और उन्होंने इसका श्रेय भी श्रीजेश को दिया।
अब बात करते हैं कुछ और। लखनऊ में रविवार रात को विश्व विजेता बनने वाली जूनियर हॉकी टीम पिछले लगभग एक साल से इस पल के लिए रात-दिन पसीना बहा रही थी। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि उस पसीने को बहाने का आदेश देने वाले शब्द जिस आदमी के मुंह से निकलते थे, उसे 18 साल पहले भारतीय हॉकी के तत्कालीन आकाओं ने ‘फेल’ खिलाड़ी बताकर सीनियर टीम से बाहर कर दिया था। यह ‘फेल’ खिलाड़ी थे भारतीय जूनियर हॉकी टीम के चीफ कोच हरेंद्र सिंह।
यह इस ‘फेल’ खिलाड़ी और ‘सफल’ गोलकीपर की जुगलबंदी का ही कमाल था कि विश्व कप शुरू होने से पहले विशेषज्ञों की तरफ से कोई भाव नहीं पाने वाली टीम अंत में विश्व चैंपियन के रूप में सामने आई।