चंडीगढ़। भिवानी के पास चरखी दादरी जिले के गांव झिंझर निवासी नीरज फोगाट को पांच साल पहले कोई नहीं जानता था। लेकिन सर्बिया के वर्बास में हुए छठे नेशन कप में इस महिला मुक्केबाज ने पहली बार में ही गोल्ड जीतकर एक और ‘दंगल’ गर्ल के रूप में अपनी पहचान बनी ली है। 22 वर्षीय नीरज फोगाट ने टूर्नामेंट में कजाकिस्तान की जैना शेकेरबेकोवा को हरा कर भारत के लिए गोल्ड मेडल जीता है।
इस वजह से की स्पोर्ट्स का चुनाव
नीरज की कहानी भी कुछ ऐसी ही है जिसने अपने भाई की कुश्ती ट्रेनिंग के दौरान लिंगामेंट टुट जाने के बाद अपने पिता का ख्वाब पूरा करने के लिए पंच गर्ल बन गई। पांच साल पहले नीरज एक कॉलेज में पढ़ती थी। भाई के घायल हो जाने के बाद उसने स्पोर्ट्स को करियर के रूप में चुना। नीरज ने कैप्टन हवा सिंह बॉक्सिंग एकेडमी में कोच संजय सिंह के नेतृत्व में बॉक्सिंग सीखना प्रारंभ कर दी। पांच सालों की कड़ी मेहनत के बाद नीरज सर्बिया में आयोजित छठे नेशन कप टुर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीतकर एक उदाहरण पेश की है।
ओलंपिक पर नजर
कोच जीएस संधू के नेतृत्व में भारत द्वारा 6 मेडल जीतकर टुर्नामेंट से वापस लौटी टीम की सदस्य 22 वर्षीय नीरज ने कहा, ‘भाई के घायल के पहले मैनें कभी भी किसी स्पोर्ट या बॉक्सिंग के बारे में नहीं सोचा था। मैं सिर्फ पढ़ाई कर रही थी। मैं कभी अकेले भिवानी नहीं गई थी। मेरे पिता चाहते थे कि परिवार का कोई एक सदस्य स्पोर्ट्स में अपना करियर बनाये। भाई के घायल होने के बाद पिता के सपनों को पूरा करने के लिए मैनें स्पोर्ट्स का चुनाव किया। ट्रेनिंग कैंप में जाने के पहले शुरुआत के दो साल मैनें खुद तैयारी इसकी तैयारी की। उसके बाद मैं अपने भाई के साथ भिवानी आकर ट्रेनिंग कैंप में हिस्सा लिया। मैं एक किराये के मकान में रह रही थी। यह मेरे लिए काफी कठिन था, लेकिन अपने परिवार के लिए जब मैने पहला अंतरराष्ट्रीय गोल्ड मेडल जीती तो यह मेरे लिए रिवार्ड है।’ अब नीरज फोगाट और उसके परिवार की नजर ओलंपिक पर है।
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